आखिर क्या होते हैं एग्जिट पोल, क्या इनके नतीजे हमेशा सटीक होते हैं
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वोटिंग का दौर आज संपन्न हो जाएगा. आज यानी 1 जून को आखिरी चरण की वोटिंग जारी है. अब सबकी की निगाहें एग्जिट पोल के नतीजों पर टिकी होंगी. एग्जिट पोल से 4 जून को आने वाले नतीजों की एक झलक दिख जाएगी. हालांकि, एग्जिट पोल के आंकड़े फाइनल नतीजे से मैच कर जाए, यह जरूरी नहीं. कभी कभी एग्जिट पोल के नतीजे सटीक भी होते हैं तो कभी-कभी गलत. ऐसे में आज हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर ये एग्जिट पोल क्या होता है, क्या इनके नतीजे हमेशा सटीक होते हैं और इसे कैसे निकाला जाता है? एग्जिट पोल की पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए सबसे पहले समझते हैं कि यह क्या है?
क्या है एग्जिट पोल?
दरअसल, एग्जिट पोल एक तरह से मतदान के बाद का एक क्विक सर्वे होता है. इसमें वोटरों से वोटिंग की जानकारी ली जाती है. वोटर से पूछा जाता है कि उसने किसे वोट दिया है. उसके बूथ पर किस तरह का रुझान है. एग्जिट पोल असल में रुझानों के जरिए निष्कर्ष निकालने की कोशिश होती है. मतदान के बाद वोटरों से बातचीत करके अंदाज लगाया जाता है कि किस सीट पर रिजल्ट कैसा हो सकता है. वोटर जो जानकारी देते हैं, उसका विश्लेषण किया जाता है. इसके बाद एक डेटा तैयार किया जाता है, जिसे एग्जिट पोल कहा दाता है. एग्जिट पोल में अनुमान लगाया जाता है कि कौन-सा उम्मीदवार या सियासी दल कहां जीत रहा है.
क्या सटीक होते हैं एग्जिट पोल?
अब सवाल उठता है कि क्या एग्जिट पोल के नतीजे हमेशा सटीक साबित होते हैं? तो इसका सीधा जवाब है नहीं. फाइनल रिजल्ट से एग्जिट पोल के डेटा मैच हो जाए, यह जरूरी नहीं. एग्जिट पोल कई बार सही भी साबित होते हैं तो कई बार गलत भी. इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं, जब एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सही साबित हुई थी. 2019 में अधिकांश एग्जिट पोल में एनडीए को स्पष्ट बहुमत दिखाया गया था. नतीजों ने भी उस पर मुहर लगाई थी. भारत में पहली बार 1957 में एग्जिट पोल कराए गए थे.
कैसे कराए जाते हैं एग्जिट पोल?
दरअसल, एग्जिट पोल मतदान केंद्रों से वोटरों के बाहर निकलने के तुरंत बाद किया जाने वाला सर्वे है. मतदान के नतीजों का अनुमान लगाने के लिए वोटरों से पूछा जाता है कि वे किस उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन करते हैं. या यूं कहें कि उन्होंने किसे वोट दिया है. ये पोल ज्यादातर अलग-अलग प्राइवेट एजेंसियों या टीवी चैनलों द्वारा कराए जाते हैं. एग्जिट पोल ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से भी किए जाते हैं. अब तो फोन कॉल करके भी डेटा जुटाया जाता है. एग्जिट पोल के लिए अलग-अलग एजेंसियां और टीवी चैनल्स अलग-अलग सैंपल साइज और प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करती हैं. कभी-कभी प्रतिनिधि बूथ पर जाकर वोटरों से पूछकर डेटा इकट्ठा करते हैं तो कभी-कभी वोटरों को फोन करके उनकी राय ली जाती है. इसमें सैंपल साइज का खासा ख्याल रखा जाता है. सैंपल साइज को ध्यान में रखते हुए इस डेटा का विश्लेषण किया जाता है. तब जाकर एग्जिट पोल के नतीजे तैयार होते हैं.