यूपी की इन 30 सीटों पर करीबी मुकाबले में फंसी बीजेपी, किसी के भी पक्ष में आ सकता है नतीजा
लखनऊ. 1 जून को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल ने सभी को चौंका दिया है. तमाम एग्जिट पोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली NDA की बंपर जीत की भविष्वाणी की गई है. जबकि विपक्षी इंडी गठबंधन काफी पीछे नजर आ रहा है. अगर 4 जून को एग्जिट पोल के रुझानों के मुताबिक नतीजे आए तो लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे. हालांकि विपक्ष की तरफ से एग्जिट पोल के आंकड़ों को फर्जी बताया गया है.
एग्जिट पोल के मुताबिक दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए सबसे अहम उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 60-70 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि सपा और कांग्रेस गठबंधन को 20-10 सीटें हासिल हो सकती है. लेकिन यूपी में करीब 30 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी कड़े मुकाबले में फंसी नजर आ रही है. इन सीटों पर इतनी कांटे की टक्कर है कि नतीजा किसी के पक्ष में जा सकता है. इसमें पश्चिम यूपी से लेकर बुंदेलखंड, रुहेलखंड और पूर्वांचल की कई हाई-प्रोफाइल सीट भी शामिल है.
पश्चिम यूपी में कई सीट पर क्लोज फाइट
अगर पश्चिम यूपी की बात करें तो 2019 में सपा-बसपा और रालोद गठबंधन की वजह से बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान हुआ था. मेरठ सीट पर बीजेपी महज 5 हजार वोट से जीती थी. कैराना सीट पर भी उसे जीत हासिल हुई, लेकिन अमरोहा, संभल, सहारनपुर, मुरादाबाद, रामपुर और नगीना लोकसभा सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था. जानकारों के मुताबिक 2024 में भी पश्चिम यूपी की कई सीटों पर कांटे की टक्कर है. यह स्थिति तब है जब बीजेपी ने रालोद के साथ गठबंधन किया है. मुजफ्फरनगर में बीजेपी के संजीव बालियान को सपा के हरेंद्र मलिक से कड़ी टक्कर मिल रही है और यह सीट फंसी हुई नजर आ रही है. ठाकुरों की नाराजगी का असर भी इस सीट पर देखने को मिल सकता है. इसी तरह कैराना, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर और संभल में भी टक्कर कांटे की है.
मेरठ में रामायण के राम अरुण गोविल को मिल रही कड़ी टक्कर
मेरठ में बीजेपी की तरफ से रामायण सीरियल के राम अरुण गोविल बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. उनका सीधा मुकाबला सपा की सुनीता वर्मा से है. इस सीट पर बहरी बनाम स्थानीय मुद्दा भी चुनाव प्रचार के दौरान खूब छाया रहा. इसके अलावा बसपा की तरफ से ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारने और सपा की तरफ से दलित प्रत्याशी होने की वजह से वोट बंटने की बात सामने आ रही है. कहा जा रहा है कि बसपा का वोट सपा की तरफ छिटका है. इस सीट पर भी जीत हार का अंतर कम रह सकता है. कैराना में सपा की इकरा हसन की जीत तय मानी जा रही है. इस सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद प्रदीप चौधरी को ही प्रत्याशी बनाया है. लेकिन एक बार फिर बसपा की तरफ से जाट प्रत्याशी मैदान में उतारने से वोट बंटने की बात कही जा रही है
इन सीटों पर भी राह नहीं आसान
इसी तरफ बदायूं, कौशांबी, पीलीभीत, कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, ललितपुर-झांसी, बांदा, रायबरेली, अमेठी, फतेहपुर, जौनपुर, मछलीशहर, आजमगढ़, लालगंज, गाजीपुर, घोसी, कुशीनगर, महराजगंज, चंदौली, सोनभद्र, बाराबंकी और गोंडा सीट पर भी बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल रही है. कहा जा रहा है कि इनमें से कई सीटें सपा और कांग्रेस को मिल सकती है. मसलन, बदायूं से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव मैदान में हैं. वे बीजेपी को टक्कर देते दिख रहे हैं. इसी तरह कौशांबी में मौजूदा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी विनोद सोनकर के खिलाफ नाराजगी चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर सामने आई थी. इतना ही नहीं इस सीट पर राजा भैया का भी साथ बीजेपी को नहीं मिला है. पीलीभीत में वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद मैदान में हैं. उन्हें भी गठबंधन प्रत्याशी से टक्कर मिल रही है. हालांकि कहा जा रहा है कि उनकी जीत हुई तो भी बड़े अंतर् से नहीं होगी. कन्नौज, मैनपुरी फिरोजाबाद में अखिलेश यादव, डिंपल यादव और अक्षय यादव की जीत भी तय मानी जा रही है. कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में भी बीजेपी को टक्कर मिल रही है. अमेठी में स्मृति ईरानी के सामने किशोरी लाल शर्मा मैदान में हैं और वे मजबूती से चुनाव लड़ते दिखे. रायबरेली में राहुल गांधी की जीत तय बताई जा रही है. ललितपुर-झांसी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रदीप जैन ने अच्छा चुनाव लड़ा है. बांदा में भी बीजेपी प्रत्याशी को लेकर लोगों में नाराजगी देखने को मिली थी. पूर्वांचल में भी कई सीटों पर सपा का इस बार खाता खुल सकता है. इनमे सबसे अहम गोंडा सीट है. यहां से सपा की श्रेया वर्मा की जीत तय मानी जा रही है. इसी तरह आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर और घोसी सीट भी गठबंधन के खाते में जा सकती हैं.