जारी हो पाएगा बूथ वाइज वोटिंग डेटा? SC से बोला EC- याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाइए
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में पांच चरणों की वोटिंग हो चुकी है. छठे चरण के लिए कल यानी 25 मई को वोटिंग होगी. छठे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनावी प्रक्रिया को लेकर बेहद अहम सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाने की अपील की है. दरअसल, फॉर्म 17 सी के डेटा को जारी करने को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में मांग की गई है कि मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17 C की कॉपी अपलोड करे. हालांकि, चुनाव आयोग ने इस याचिका का विरोध किया है. चुनाव आयोग ने 2019 के डेटा का भी हवाला दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि इस चरण में हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा और कहा कि उचित बेंच सुनवाई करेगी.
–सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने के टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिका कर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यों की गई?
-जस्टिस दीपांकर दत्ता ने ADR के वकील दुष्यंत दवे से कहा, ‘हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं कुछ पब्लिक इंटरेस्ट में होती हैं, कुछ पैसे इंटरेस्ट में होती हैं! लेकिन हम आपको ये कह सकते हैं कि आपने यह याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दायर नहीं किया है.
-चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है. यह आरोप पूरी तरह से गलत है. चुनाव जारी है और आयोग को लगातार बदनाम किया जा रहा है.
-चुनाव आयोग की तरफ से मनिंदर सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है.
-चुनाव आयोग ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे.
-वहीं चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए मनिंदर सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए. इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है
-चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया. आयोग ने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है. आयोग ने कहा कि चुनाव चल रहे हैं और ये इस तरह बार- बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं
– ADR और महुआ मोइत्रा की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच में सुनवाई हो रही है.
–वोटिंग खत्म होने के बाद 48 घंटे के भीतर वोटिंग का डेटा सार्वजनिक किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है.
अब वोटिंग डेटा जारी करने से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच आज यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगी. इस मामले में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर याचिका का विरोध किया है. चुनाव आयोग का कहना है कि अगर फॉर्म 17 C की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड की गई, तो अफरातफरी मच सकती है. वेबसाइट से कॉपी लेकर उसकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है, उससे आम लोगों का चुनावी प्रक्रिया पर भरोसे को नुकसान हो सकता है. फॉर्म 17 C की कॉपी विभिन्न पार्टियों के पोलिंग एजेंट को दी जाती है, लेकिन इसे सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा. इस फॉर्म 17 C की मूल कॉपी स्ट्रॉंग रूम में सुरक्षित रहती है.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में मतदान के बाद वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों में किसी भी तरह के अंतर के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताते हुए खारिज किया है. चुनाव आयोग का कहना है कि मतदान प्रतिशत और वोटर टर्नआउट डेटा में गड़बड़ी के आरोप भ्रामक, झूठे हैं. महज संदेह के आधार पर आरोप लगाये गये हैं. आयोग का कहना है कि डेटा को लेकर अनेक स्तर पर सावधानी बरती जाती है, जिस कारण समय लग जाता है. हालांकि कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती.
किसने दायर की याचिका?
इस मामले में एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है. इसमें कहा गया कि मतदान के कई दिनों बाद आंकड़े जारी किए गये. पहले चरण का डेटा मतदान के 11 दिनों बाद और दूसरे चरण में 4 दिन बाद जारी किया गया. शुरुआती डेटा और अंतिम डेटा में पांच फीसदी के करीब का अंतर होने का भी दावा किया गया
आखिर क्या होता है फॉर्म 17 C
दरअसल, फॉर्म 17 C में वोटर टर्नआउट का डेटा दर्ज किया जाता है. यह काम पोलिंग अधिकारी करते हैं. फॉर्म 17 C मतदान समाप्त होने के बाद भरा जाता है. इसे सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट्स को दिया जाता है. इस फॉर्म 17 C के जरिए ये पता चल जाता है कि उस बूथ पर कितना फीसदी मतदान हुआ है.