जानिए कैसे मंदी में फंसी इंडियन इकॉनमी को संभाल रहे हैं किसान, छोटे कारोबारी और आम लोग
इंडस्ट्रियल लॉन्ड्री सर्विस वासेक्स हॉस्पिटैलिटी के मालिक मनीष मेहरा हाल ने हाल ही में दिल्ली से जोधपुर के लिए उड़ान भरी। राजधानी दिल्ली से वह भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित शहर में एक सरकारी अस्पताल का ठेका लेने के लिए पहुंचे थे। यह कदम उनके कारोबार को नई गति देने के लिए जरूरी है। जोधपुर के एक होटल में एक सप्ताह तक रुकने जा रहे मेहरा ने कहा, ”एक नए रिश्ते के लिए एक दूसरे को जानना होता है, ताकि आप भरोसा और विश्वास जीत सकें। सरकारी विभागों के मामले में यह जरूरत और भी अधिक है।”
मेहरा जैसे छोटे कारोबारियों द्वारा हवाई सफर, होटल में ठहराव के साथ ग्रामीण आमदनी में इजाफा और दो अच्छे मॉनसून के बाद खर्च में वृद्धि से महामारी पीड़ित भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी से निकलने में मदद मिल रही है। शुक्रवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी का संकुचन आया, जोकि विश्लेषकों के अनुमान 8.8% से कम है। इस तिमाही के दौरान लॉकडाउन में ढील मिलने के साथ डिमांड में तेजी आने लगी थी। इससे पहले अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 23.9% संकुचन दर्ज की गई थी।
सितंबर तिमाही में कृषि क्षेत्र में 3.4 पर्सेंट की सालाना ग्रोथ और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 0.6% तेजी से इकॉनमी के जल्द रिकवर कर जाने की उम्मीद जगी है। दूसरी तरफ ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट जैसे सर्विस सेक्टर में अप्रैल-जून के मुकाबले कम संकुचन दिखा है। बंपर फसल के बाद किसान ट्रैक्टर खरीद रहे हैं तो कोरोना की वजह से निजी वाहनों को प्राथमिकता की वजह से कार और मोटरसाइकिलों की बिक्री बढ़ गई है। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन में तेजी आई है तो ऊर्जा खपत भी बढ़ गई है।
क्वांटइको रिसर्च की अर्थशास्त्री युविका सिंघल कहती हैं कि रिकवरी आकार ले रही है और अगुआई मैन्युफैक्चिरिंग सेक्टर कर रहा है जो जुलाई तिमाही में प्रलय की स्थिति में था। उन्होंने आगे कहा, ”जीडीपी में 60 फीसदी योगदान सर्विस सेक्टर में जब तक तेजी नहीं आती है, कृषि और विनिर्माण पर ग्रोथ आगे बढ़ाने की उम्मीद है।” युविका ने यह भी कहा कि भारत अभी भी निचले जीडीपी बेस पर बढ़ रहा है और नुकसान की भरपाई के लिए एक साल से अधिक का समय लगेगा।
होटल्स में स्लो रिकवरी
श्रीपेरुमबुदुर, विसाखापत्तन और नासिक जैसे शहरों में मैरियट होटल 50 से 60 फीसदी क्षमता के साथ चल रहे हैं। इन प्रॉपर्टीज के मालिकाना हक वाली कंपनी SAMHI के सीईओ आशिष जखानवाला ने कहा कि इनमें से अधिकतर गेस्ट घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में काम कर रहे हैं। हालांकि, बेंगलुरु स्थित होटल्स में केवल 20-30 पर्सेंट कमरे ही भरे हुए हैं, जहां बड़े कॉर्पोरेट्स की संख्या अधिक है। जखानवाला कहते हैं कि बड़े कॉर्पोरेट्स और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में सुधार में समय लगेगा। पब्लिक सेक्टर और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को सेवा दे रहे होटल्स का प्रदर्शन बेहतर है।
हवाई सफर में तेजी
मई के अंत से सरकार ने विमान सेवाओं से प्रतिबंध को हटा लिया था। मासिक घरेलू यात्रियों की संख्या जून के 20 लाख से बढ़कर अक्टूबर में 50 लाख तक पहुंच गई। हालांकि, यह एक साल पहले के 1.20 करोड़ से काफी कम है। सिंगापुर एयरलाइंस और टाटा ग्रुप के जॉइंट वेचर विस्तारा के चीफ कॉमर्शल ऑफिसर विनोद खन्ना पैसेंजर्स की संख्या में वृद्धि पर कहते हैं, ”इनमें से अधिकतर स्मॉल या मीडियम एंटरप्राइजेज (SMEs) या छोटे कारोबारों के मालिक हैं, जो अधिक दिनों तक घर नहीं बैठ सकते हैं।” ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसी मेक माय ट्रिप के मुताबिक, SMEs ने कोविड पूर्व के समय के मुकाबले होटल्स बुकिंग में 35 से 30 फीसदी की रिवकरी की है तो फ्लाइट बुकिंग में 27 से 32 फीसदी की तेजी आई है।”
रूरल इकॉनमी का सहारा
कोरोना महामारी का असर शहरों के मुकाबले ग्रामीण भारत पर कम रहा। इसके अलावा अच्छी बारिश की वजह से किसानों को काफी फायदा हुआ है। बंपर फसल से किसानों की आमदनी में इजाफा हुआ है। इससे महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के ट्रैक्टर्स की बिक्री बढ़ गई है।
गाड़ियों की बिक्री में इजाफा
कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लोग इन दिनों पब्लिक ट्रांसपोर्ट को कम तवज्जो दे रहे हैं। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी लोग निजी वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे कारों और मोटरसाइकिलों की बिक्री बढ़ गई है। मारुति सुजुकी ने ग्रामीण इलाकों में 10 फीसदी अधिक बिक्री दर्ज की है।