क्या शेयर बाजार में पैसे लगाने का यह सही समय नहीं है? जानें एक्सपर्ट की राय
बाजार की उथल-पुथल ने निवेशकों को बाजार के निकट भविष्य के बारे में परेशान कर दिया है। वर्तमान अस्थिरता कठिन है, लेकिन सुरंग के अंत में हमेशा प्रकाश होता है। इसलिए अपनी सारी उम्मीदें न खोएं। हालांकि, मौजूदा स्थितियों के बीच निवेशकों के मन में कई सवाल हो सकते हैं, जैसे कि अभी क्या करना चाहिए, आगे क्या हो सकता है या बाजार से क्या उम्मीद रखें आदि। चलिए, इन सवालों के जवाब जानते हैं।
आपको क्या करना चाहिए?
शेयर बाजार में अनिश्चितता ही एकमात्र निश्चितता है। किसी को भी आपको अन्यथा न बताने दें। निफ्टी 50 इंडेक्स ने अपने अक्टूबर के उच्च स्तर के बाद से 14% सुधार किया है। उसके बाद 9% रिकवर हुआ है। यदि आपने बाजार में सुधार के समय निवेश किया होता, तो आपको रिकवरी के चरण में लाभ होता। परस्पर विरोधी और अस्थिर बाजारों के बीच, गुणवत्ता वाली कंपनियों में निवेश करें, खास कर के ब्लू-चिप्स में। ब्लू-चिप रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, अल्ट्राटेक सीमेंट, एशियन पेंट्स आदि जैसी अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त और स्थिर कंपनियां होती हैं। दिशाहीन बाजार को एक अवसर के रूप में सोचें।
वर्तमान परिदृश्य ने नीति निर्माताओं और बाजार विशेषज्ञों को बेखबर बना दिया है क्योंकि वैश्विक स्तर पर कई कारक प्रभाव डाल रहे हैं, जैसे- यूक्रेन-रूस युद्ध, मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि आदि। समस्या यह है कि कोविड युग के बाद मांग बढ़ रही है और मुद्रास्फीति भी अधिक है। इस बार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मैक्रोइकॉनॉमिक चुनौतियों से जूझ रही है।
बाजार में कितनी संभावनाएं हैं?
इतिहास खुद को दोहराता है लेकिन इसके बाद के प्रभाव भी दोहराते हैं। अतीत में, कई अमेरिकी मंदी ने संकेत दिया है कि बाजार हमेशा छह महीने के बाद सकारात्मक रिटर्न देते हैं। वर्तमान में हम जिसका सामना कर रहे हैं, वह मुद्रास्फीति और लो पर्चेसिंग पावर है। इन चुनौतियों के बीच एक सेक्टर दूसरों की तुलना में बेहतर कर रहा है, और वह है टेक्नोलॉजी स्टॉक्स। फरवरी के निचले स्तर से निफ्टी आईटी इंडेक्स 13% चढ़ा है। चल रहे मैक्रो हेडविंड और भू-राजनीतिक तनावों के कारण बाजार संकुचित रह सकता है। इसका असर इंडिया इंक की कमाई पर भी पड़ेगा।
आगे क्या हो सकता है?
शेयर बाजार में लाभ कमाने के लिए व्यक्ति को धैर्य और अनुशासित रहना चाहिए। सॉलिड कंपनियों की तलाश करें, जो सुधार कर रही हैं और व्यवस्थित रूप से फंड्स को जोड़ रही हैं। भले ही बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव हो, बड़ी कंपनियां इतनी आसानी से प्रभावित नहीं होती हैं। यहां से रास्ता तय करना नामुमकिन है। हमें यूक्रेन-रूस युद्ध के मोर्चे पर कुछ खुशखबरी का इंतजार करना होगा।