23 November, 2024 (Saturday)

कंफ्यूज न हों… कल है हनुमान जयंती, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त

. इस बार चैत्र माह में दो दिन पूर्णिमा तिथि पड़ने से लोगों में हनुमान जयंती की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने Local 18 को बताया कि चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन, इस साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 2 दिन पड़ रही है, जिसके कारण हनुमान जयंती को लेकर असमंजस की स्थिति है. तो आइए जानते हैं कब मनाई जाएगी हनुमान जयंती?

इस दिन मनेगी हनुमान जयंती
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा 23 अप्रैल को सुबह 03:30 मिनट से लेकर 24 अप्रैल को सुबह 05:18 बजे तक रहेगी. इसी प्रकार हनुमान जयंती का पर्व 23 अप्रैल को ही मनाया जाएगा. साथ ही 23 अप्रैल को मंगलवार का दिन पड़ने के कारण हनुमान जयंती का महत्व और अधिक बढ़ गया है, इसलिए श्रद्धालु इसी दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाएं.

पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूजन के लिए पहला शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल को सुबह 9:05 बजे से दोपहर 1:55 बजे तक रहेगा. इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल को रात 8:15 बजे से रात्रि 09:35 बजे तक रहेगा. इसी प्रकार ब्रह्म मुहूर्त 23 अप्रैल को सुबह 4:24 बजे से लेकर 05:00 बजे तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:40 बजे तक रहेगा. इन मुहूर्त में आप हनुमानजी की पूजा करें.

पूजा विधि और मंत्र 
हनुमान जयंती के दिन पूजन करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें एवं सभी कामों से निपटकर शुद्ध जल से स्नान करें. घर के आसपास कोई पवित्र नदी हो तो उसमें स्नान करें. इसके बाद हनुमान जी का शुभ मुहूर्त में पूजन करें. सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी लीजिए. उस चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. हनुमान जी के साथ भगवान श्री राम की तस्वीर स्थापित करें. फिर फूल, माला, सिंदूर चढ़ाने के साथ भगवान के पसंदीदा भोग जैसे बूंदी, बेसन के लड्डू, गुड़ चना, तुलसी को चढ़ाएं. अब हनुमान जी के समक्ष घी का दीपक और धूप जलाकर श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें. बाद में उनकी आरती करें. भक्तों में प्रसाद बांटें. हनुमान जी का मूल मंत्र और कवच मूल मंत्र का जप करें. (ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।) (श्री हनुमते नमः)

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