23 November, 2024 (Saturday)

क्‍या FATF की बैठक में इमरान खान का साथ देगा चीन? पाक पर ब्‍लैक लिस्‍ट की लटकी तलवार! – एक्‍सपर्ट व्‍यू

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी (एफएटीएफ) की बैठक शुरू होने में भले ही अभी एक सप्‍ताह का समय बाकी है, लेकिन पूरी दुनिया की नजर इस पर टिकी है। खासकर इस बैठक को लेकर पाकिस्‍तान की धड़कनें बढ़ गई है। आर्थिक रूप से तंग पाकिस्‍तान के लिए एफटीएफ की यह बैठक काफी खास है। इस बैठक में यह तय होगा कि पाकिस्‍तान ग्रे लिस्‍ट से बाहर निकल पाएगा या नहीं। उसे यह भी चिंता सता रही होगी कि कहीं एफएटीएफ उसे ब्‍लैक लिस्‍ट न कर दें। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्‍तान की छ‍िछालेदर होना तय है। भारत और चीन की नजर भी इस बैठक में टिकी है। यहां सवाल यह है कि चीन आखिर हर बार मसूद अजहर पर अपनी कृपा क्‍यों बरसाता है। चीन अजहर को चरमपंथी घोषित करने की मांग का विरोध क्‍यों करता रहा है। इस बार एफएटीएफ की बैठक में चीन की क्‍या भूमिका हो सकती है। उसके अन्‍य समर्थकों का क्‍या रवैया होगा।

1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि इस बार एफएटीएफ की बैठक में चीन का क्‍या स्‍टैंड होगा, यह देखना दिलचस्‍प होगा। उन्‍होंने कहा कि इसके पूर्व संयुक्‍त राष्‍ट्र के 15 सदस्‍यों वाली सुरक्षा परिषद में चीन अकेला ऐसा मुल्‍क है जो अजहर को आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयास का विरोध करता था। बता दें कि चीन के विरोध के चलते भारत का मोस्‍टवांटेड आतंकवादी अजहर बतौर आतंकवादी संयुक्‍त राष्‍ट्र की सूची में शामिल होने से हर बार बच जाता था।

2- वर्ष 2019 में आतंकवाद के मोर्चे पर भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी तब मिली थी, जब संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। इससे पहले चीन सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में बार-बार अड़ंगा लगा रहा था। एफएटीएफ की बैठक में भी चीन पाकिस्‍तान का पक्ष लेता रहा है। गौरतलब है कि अजहर के आतंकी संगठन ने ही पुलवामा आतंकी हमले की जिम्‍मेदारी ली थी। इस आतंकी घटना में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हुए थे।

3- क्‍या आप जानते हैं कि भारत ने किस अंतरराष्‍ट्रीय कानून के तहत अजहर को आतंकवादी सूची में डालने के लिए प्रयासरत था। प्रो. पंत का कहना है कि सुरक्षा परिषद के 1267 समिति में आतंकवादी संगठनों या किसी शख्‍स के लिस्टिंग के मानदंडों के लिए स्पष्ट नियम हैं। चीन इस समिति में अजहर का पक्ष रखता रहा है। चीन सदैव यह बात समिति में रखता था कि लिस्टिंग के मामले में, 1267 समिति निष्पक्ष और प्रोफेशनल तरीके से सिद्धांतों का पालन करे और ठोस सबूतों के आधार पर अन्य सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से अपने फैसले करे।

तीन बार की भारत कोशिश हुई थी फेल

जैश संगठन का मुखिया मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए सबसे पहले वर्ष 2009 में भारत ने प्रस्ताव रखा था। फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध परिषद के समक्ष दूसरी बार प्रस्ताव रखा। इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार यह प्रस्ताव रखा। इन सभी मौकों पर चीन ने अपने वीटो का इस्तेमाल करके ऐसा होने से रोक दिया था। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से जैश सरगना अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में भी वीटो लगा दिया था।

सुरक्षा परिषद तय करती है आतंकवादी का नाम

किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है। प्रस्ताव 1267 में उस व्यक्ति का नाम दर्ज करना होता है। सुरक्षा परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थाई सदस्य हैं। इनके अलावा दस अस्थाई सदस्य हैं। किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है। दुनियाभर में उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। उसके यात्रा करने और उसे हथियार मुहैया कराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है। ये हथियारों के आयात पर प्रतिबंध, ट्रैवेल पर प्रतिबंध, संपत्ति ज़ब्त करने जैसे फ़ैसले लेती है। हर 18 महीने में इसकी समीक्षा भी की जाती है। इस समिति ने अब तक 257 लोगों और 81 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा चुकी है।

34-सूत्रीय कार्य योजना में से 30 पर ही अमल

इसके पूर्व एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को 34-सूत्रीय कार्य योजना सौंपी थी। इसमें से 30 पर ही कार्रवाई की गई। मालूम हो कि एफएटीएफ ने गत वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्‍ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना दी थी और इस पर सख्‍ती से अमल करने को कहा था।

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