UP: सफलता की कुंजी से कम नहीं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का ये संदेश, तीन बार आगरा आए, हर बार छात्रों से हुए रूबरू
मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 18 साल में तीन बार आगरा आए। खास बात ये रही के वे हर बार छात्रों से रूबरू हुए। उन्हें प्रेरित किया और वो संदेश भी दिया, जो छात्रों के लिए सफलता की कुंजी से कम नहीं है।
मिसाइलमैन और भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तीन बार आगरा आए। हर बार वह छात्रों से मिले और उन्हें प्रेरित किया। 18 साल में वह तीन बार आगरा के छात्रों से रूबरू हुए और भारत को समृद्ध करने के अपने विजन 2020 के बारे में बात की।
मंगलवार को देश के महान वैज्ञानिक और मिसाइलमैन के नाम से मशहूर हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है। वह 30 साल पहले आगरा में दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के दीक्षांत समारोह में आए थे। तब वह रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे। उन्होंने डीईआई के छात्रों को देशसेवा के साथ सेना से जुड़ने की प्रेरणा दी थी।
इसके ठीक 10 साल बाद 24 दिसंबर 2003 को वह डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पालीवाल पार्क परिसर में आए थे। यहां से उन्हें इटावा जाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण वह आगरा से ही लौट गए थे। उन्होंने तब अपने विजन 2020 के बारे में और आईटी सेक्टर को अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र बताया था।
छात्रों से बोले- देश की तकलीफ दूर करने वाला कॅरिअर चुनो
वर्ष 23 अप्रैल 2011 को डीईआई के डायमंड जुबली मेमोरियल लेक्चर में पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर आए डॉ. कलाम ने फिर छात्रों से रूबरू होते हुए विजन 2020 की बात की। छात्रों से कहा कि कॅरिअर वह चुनो, जिससे देश की तकलीफ दूर हो। पृथ्वी और अग्नि मिसाइलों के जनक डॉ. कलाम ने छात्रों से कहा था कि किसी भी क्षेत्र में ऐसा काम करो कि दुनिया तुम्हें तुम्हारे नाम से याद रखे और दूसरे के लिए प्रेरणा बन जाए। वह 55 मिनट तक छात्रों से रूबरू हुए।
धोनी के थे मुरीद, उन्हीं की दी मिसाल
उन्होंने तब विश्वकप जिताने वाले क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का उदाहरण दिया और छात्रों से कहा था कि ऐसे ही लीडर बनकर सफल हों। डीईआई की बीएससी कंप्यूटर साइंस की छात्रा सृष्टि त्यागी को उनसे प्राइमरी स्कूल में शिक्षक की अहमियत पर सवाल पूछने का मौका मिला था। तब कलाम ने कहा था कि देश को सबसे ज्यादा अच्छे प्राइमरी शिक्षकों की आवश्यकता है, जो देश की नींव का भविष्य तय करेंगे। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने डीईआई के शिक्षकों को पीछे और छात्रों को आगे बुला लिया था।