India US Defence Deal: अमेरिका, भारत को देगा एंटी सबमरीन सोनोबॉय हथियार, पांच करोड़ डॉलर से ज्यादा की है डील
अमेरिका के रक्षा विभाग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ‘अमेरिका के विदेश मंत्री ने विदेशी रक्षा सौदे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत भारत सरकार को एंटी सबमरीन हथियार सोनोबॉय और उससे संबंधित उपकरणों की बिक्री की जा सकेगी।’
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह के अमेरिका दौरे के बीच दोनों देशों के बीच एक अहम रक्षा सौदा हुआ है। इस सौदे के तहत अमेरिका भारत को एंटी सबमरीन सोनोबॉय देगा। यह सौदा पांच करोड़ डॉलर से ज्यादा का है। इस सौदे से भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी।
अमेरिका के रक्षा विभाग ने जारी किया बयान
अमेरिका के रक्षा विभाग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ‘अमेरिका के विदेश मंत्री ने विदेशी रक्षा सौदे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत भारत सरकार को एंटी सबमरीन हथियार सोनोबॉय और उससे संबंधित उपकरणों की बिक्री की जा सकेगी।’ सौदे के तहत भारत को AN/SSQ-53G एंटी-सबमरीन सोनोबॉय, AN/SSQ-62F एंटी-सबमरीन सोनोबॉय और AN/SSQ-36 सोनोबॉय मिलेंगे। इस सौदे की कुल कीमत 5.2 करोड़ डॉलर होगी।
गौरतलब है कि चीन हाल ही में अपने सबसे आधुनिक सबमरीन को लॉन्च किया है। इसे पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की अंडरवाटर फ्लीट में शामिल किया गया है। चीन की नौसेना के पास 48 डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। चीन पर हिंद महासागर और हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में सबमरीन की मदद से जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। यही वजह है कि भारत अमेरिका के बीच हुए इस एंटी सबमरीन समझौते से चीन की साजिशों पर कुछ हद तक नकेल कसी जा सकेगी।
पेंटागन में लॉयड ऑस्टिन से मिले राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन का दौरा किया। जहां राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर सहमति बनी। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में नेवीगेशन और क्षेत्रीय सुरक्षा को कायम रखने में भारतीय नौसेना की भूमिका की भी जमकर तारीफ की। दोनों देशों के नेताओं के बीच सप्लाई चेन सिक्योरिटी को बढ़ाने, हिंद महासागर में मेरीटाइम सिक्योरिटी को मजबूत करने पर बात हुई। भारत-अमेरिका के बीच जेट इंजन, अनमैन्ड प्लेटफॉर्म, आधुनिक हथियार, ग्राउंड मॉबिलिटी सिस्टम आदि के सह-उत्पादन को लेकर भी बातचीत आगे बढ़ी।