23 November, 2024 (Saturday)

भारत ने COVID-19 वैक्सीन आपूर्ति के लिए शीर्ष वैश्विक निर्माताओं के आपत्तिजनक नियमों और शर्तों को किया खारिज: स्वास्थ्य मंत्री मांडविया

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ भारत लड़ाई लड़ रहा है। देश में कोविड-19 टीकाकरण (COVID 19 vaccine) अभियान के तहत सैकड़ों लोगों को वैक्सिंग दी जा चुकी है, जबकि अभी भी टीकाकरण अभियान जारी है। वहीं इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने देश की वैक्सीन आपूर्ति के लिए, दुनिया के शीर्ष वैक्सीन निर्माताओं की मनमानी शर्तों और नियमों को मानने से इनकार कर दिया है।

‘ए नेशन टू प्रोटेक्ट’ पुस्तक के विमोचन पर बोले स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को प्रियम गांधी मोदी द्वारा लिखी गई ‘ए नेशन टू प्रोटेक्ट’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक के विमोचन पर बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमने उन्हें भारत में व्यापार करने के लिए कहा था, लेकिन भारत के नियमों और शर्तों पर। हमने अनुबंध में देयता माफी और अन्य आपत्तिजनक शर्तों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया था। वे संप्रभु गारंटी छूट भी चाहते थे। पीएम मोदी वैक्सीन निर्माता कंपनियों, प्रेरित वैज्ञानिकों और निर्माताओं का दौरा किया। हमने नौ महीने में देश में मेक इन इंडिया वैक्सीन लान्च किया।’

नीति आयोग के सदस्य डा वी के पाल ने कहा

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा वी के पाल ने कहा, ‘हमने हमेशा अन्य वैक्सीन निर्माताओं को आमंत्रित किया है।‌ हमारी धरती पर टीकों के विकास और निर्माण के लिए हमारे साथ हाथ मिलाने के लिए। हम हमेशा से यह संदेश देते रहे हैं। लेकिन उनकी शर्तें देयता माफी और संप्रभु प्रतिरक्षा छूट पर थीं जिन्हें सरकार ने स्वीकार नहीं किया था, और इसलिए बातचीत कभी भी शुरू नहीं हो सकी। उस समय तक हमारे पास टीकों की अपनी उदार आपूर्ति थी।’

‘ए नेशन टू प्रोटेक्ट’ के लेखक प्रियम गांधी मोदी ने पुस्तक पर डाला प्रकाश

‘ए नेशन टू प्रोटेक्ट’ के लेखक प्रियम गांधी मोदी की यह तीसरी किताब है। अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि देश ने COVID-19 महामारी के खिलाफ अच्छी लड़ाई लड़ी है। यह पुस्तक पिछले दो वर्षों में COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर प्रकाश डालती है।

उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में विशेष रुप से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का जिक्र किया गया है, जो पुस्तक में प्रमुखता से शामिल हैं, विशेष रुप से उस भूमिका के साथ जो उन्होंने COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान रसायन और उर्वरक मंत्री के रुप में निभाई थी, जब भारत आवश्यक दवाओं और रेमेडिसविर की आपूर्ति से जूझ रहा था।

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