टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को लेकर चीफ जस्टिस ने जताई चिंता, कहा- ‘आजकल लोग इसकी मदद से धमका और ट्रोल कर रहे’
चेन्नई: शनिवार को देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आइआइटी मद्रास के दीक्षांत समारोह में थे। यहां उन्होंने अपने संबोधन में कई ऐसी बातें कहीं, जिस पर क़ानूनी एजेंसियां ही नहीं बल्कि प्रत्येक आम आदमी को धयन देने की आवश्यकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आजकल हम सभी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसको लेकर हमारे मन में कई सवाल रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा नहीं करना चाहिए अन्यथा लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे और यहीं से हम पिछड़ जाएंगे।
आईआईटी मद्रास के 60वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में शनिवार को भारत के मख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कोई भी प्रौद्योगिकी निर्वात में जन्म नहीं लेती है, बल्कि वह उस समय की सामाजिक वास्तविकता तथा कानूनी, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था का परिचायक होती है।’’ उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने आज राष्ट्रीयता समेत कई बाधाओं को समाप्त कर दिया है और कोई भी एक बार में लाखों संदेश भेज सकता है जो ऑफलाइन माध्यम से संभव नहीं है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि लेकिन प्रौद्योगिकी के उद्भव के साथ ही नये व्यवहार का जन्म भी हुआ है और यह आनलाइन मध्यम से धमकी, गाली गलौच करने और ‘ट्रोल’ करने का है।
उन्होंने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब प्रौद्योगिकी के विकास के साथ इन विषयों पर भी विचार करने की जरूरत है। भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आज एआई ऐसे शब्द हैं जो हर किसी की जुबान पर हैं। कृत्रिम बुद्धिमता के माध्यम से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है।’’ उन्होंने कहा कि एआई के साथ चैट जीपीटी साफ्टवेयर का उपयोग भी बढ़ा है जो चुटकुले बनाने से लेकर कोडिंग करने और कानूनी विषयों को लिखने तक में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय में भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए पायलट आधार पर एआई का उपयोग कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब हमें यह देखना चाहिए कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किस प्रकार से मानव विकास में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ ऑनलाइन धमकी, गाली गलौच और परेशान किये जाने की घटनाएं भी आ रही हैं और यह बात भी स्पष्ट होती है कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हानिकारक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे।’’
‘कहा जाता है कि प्रौद्योगिकी इतनी तेजी से विकसित होती है कि कानून उसके साथ नहीं रह सकता’
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “अक्सर कहा जाता है कि प्रौद्योगिकी इतनी तेजी से विकसित होती है कि कानून उसके साथ नहीं रह सकता। यह इस समय सच लग सकता है, लेकिन अगर हम एक कदम पीछे जाएं, तो हमारा इतिहास इस तथ्य का प्रमाण है कि कानून और तकनीकी विकास एक द्वंद्वात्मक संबंध साझा करते हैं। आज, वीडियो कांफ्रेंसिंग ने हमारे काम करने के तरीके को बदल दिया है। कोविड-19 महामारी के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई की शुरुआत की, जो आज तक दिल्ली के बाहर के वादियों और वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने की अनुमति देती है