01 November, 2024 (Friday)

जिले को नशामुक्त बनाने के लिए लगातार चलाया जारहा है अभियान

श्रावस्ती।  जिलाधिकारी टी0के0 शिबु के निर्देशानुसार जिले में जिला समाज कल्याण राकेश रमन की अगुवाई मंे लगातार नशा मुक्त अभियान चलाया जा रहा हैं, इस अभियान को सफल बनाने में जिले की स्वयं सेवी संस्था गुलिस्ता फाउण्डेशन द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाकर लोगो को नशा न करने का संकल्प दिलाया जा रहा हैै। समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित पं0 दीनदयाल उपाध्याय आश्रम पद्धति विद्यालय भयापुरवा की छात्राआंे द्वारा जागरूकता  रैली का आयोजन कर नशा मुक्त अभियान चलाया जा रहा है और ये छात्राएं रैली के माध्यम से तथा अपने घर, गांव, मोहल्ले में लोगो को नशा न करने के लिए प्रेरित कर रही है।
प्ंा0 दीनदयाल राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में आयोजित नशा मुक्त कार्यक्रम के दौरान जिला समाज कल्याण अधिकारी राकेश रमन ने बताया कि नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है। सरकार इन पीड़ितों को नशे के चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है, शराब और गुटखे पर रोक लगाने के प्रयास करती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से दूर हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। धूम्रपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है। तम्बाकू के सेवन से तपेदिक, निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती है।

उन्होने बताया कि हिंसा, बलात्कार, चोरी, आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादीशुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात है। मुँह, गले व फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रैशर, अल्सर, यकृत रोग, अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा है। भारत में केवल एक दिन में 11 करोड़ सिगरेट फूंके जाते हैं, इस तरह देखा जाय तो एक वर्ष में 50 अरब का धुआँ उड़ाया जाता है। आज के दौर में नशा फैशन बन गया है। प्रति वर्ष लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाने के लिए 30 जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प और शपथ दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मुहिम के तहत हम लोगों को जागरूक करेंगे और ऐसे लोगो को रोल मॉडल बनाएंगे, जो इसकी गिरफ्त से बाहर आ चुके हैं। अब खुलेआम नशे का व्यापार हो रहा है। धार्मिक स्थल व स्कूल के पास दुकान खुल रही हैं, जो कि नशे को बढ़ावा दे रही है इसके लिए एक मुहिम अभियान चला कर तहसील/ग्राम स्तर पर लोगों को जागरूक करने के साथ ही पीड़ित परिवारों को नशे से मुक्ति दिलायी जायेगी जिससे कि लोगों को नशे का बाध्य न होना पड़े।
उन्होने बताया कि नशा एक अभिशाप है उन्होने बताया कि  एक सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है। जिन परिवारों के पास रोटी−कपड़ा और मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा सुबह−शाम के खाने के लाले पड़े हुए हैं उनके मुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं वे शराब पर फूंक डालते हैं। इन लोगों को अपने परिवार की चिन्ता नहीं है कि उनके पेट खाली हैं और बच्चे भूख से तड़प रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। ये लोग कहते हैं वे गम को भुलाने के लिए नशे का सेवन करते हैं। उनका यह तर्क कितना बेमानी है जब यह देखा जाता है कि उनका परिवार भूखे ही सो रहा है। एक स्वैच्छिक संगठन की रिपोर्ट में यह जाहिर किया गया है कि कुल पुरूषों की आबादी में से आधे से अधिक आबादी शराब तथा अन्य प्रकार के नशों में अपनी आय का आधे से अधिक पैसा बहा देते हैं।

उन्होंने कहा कि नशा एक ऐसी समस्या है, जिसकी जड़ें ज्यादातर घरों तक पहुंच चुकी हैं। यह बुराई विकराल रूप धारण कर रही है समाज से इसे उखाड़ फेंकने के लिए हम सभी को अपना योगदान देना होगा, सबसे अधिक युवा इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानाचार्या कादम्बिनी सिंह ने बताया कि हमारे समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना और स्वीकार किया गया है। इनमें सर्वाधिक प्रचलन शराब का है। शराब सभी प्रकार की बुराइयों की जड़ है। शराब के सेवन से मानव के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित−अहित और भले−बुरे का अन्तर नहीं समझ पाता। शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ−साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। अमीर से गरीब और बच्चे से बुजुर्ग तक इस लत के शिकार हो रहे हैं। शराब के अतिरिक्त गांजा, अफीम और अन्य अनेक प्रकार के नशे अत्यधिक मात्रा में प्रचलित हो रहे हैं। देश में नशाखोरी में युवावर्ग सर्वाधिक शामिल हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाव, परिवार के झगड़े, इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हो रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन/रैली की अगुवाई गुलिस्ता फाउण्डेशन की संचालिका  गुलशन जहां ने किया ।
इस अवसर पर आश्रम पद्धति विद्यालय की अध्यापिकाएं एवं छात्राएं उपस्थित रही।

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