23 November, 2024 (Saturday)

Budget 2022: इस साल भी नहीं छपेगा बजट दस्‍तावेज, जानें- निर्मला सीतारमण कैसे करेंगी सौगातों का ऐलान

देश के सबसे विख्यात और प्रतीक्षित आर्थिक दस्तावेज में शामिल सालाना आम बजट की छपाई लगभग खत्म सी हो गई है। सरकार ने खर्च घटाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हाल के वर्षो तक हजारों की संख्या में छपने वाली मोटी-मोटी बजट प्रतियों की छपाई करीब-करीब न्यूनतम कर दी है। अधिकारियों ने बताया है कि इस बार भी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत का बजट दस्तावेज मुख्य रूप से डिजिटल स्वरूप में ही रहने वाला है। आगामी वित्त वर्ष के लिए अगले सप्ताह मंगलवार को पेश होने वाले आम बजट की न्यूनतम कापी की ही छपाई हो रही है और इसे डिजिटल रूप में ही अन्य लोगों के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी है।

केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनने से पहले तक बजट की छपाई वित्त मंत्रालय के लिए सबसे बड़े सालाना आयोजनों में एक रही है। इसकी शुरुआत हलवा सेरेमनी से होती थी, जिसमें एक बड़ी कड़ाही में हलवा बनाया जाता था। इसे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों-कर्मचारियों में वितरित किया जाता था। इस आयोजन में वित्त मंत्री, वित्त राज्यमंत्री और अन्य अधिकारी शामिल होते थे। उसके बाद बजट छपाई से जुड़े कर्मचारियों को इसकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लाक स्थित कार्यालय के बेसमेंट में छपाई के काम में लगाया जाता था।

उसके बाद बजट छपने से लेकर लोकसभा में पेश किए जाने तक दो सप्ताह से भी अधिक समय के लिए ये कर्मचारी दुनियाभर, यहां तक कि अपने परिवार से भी पूरी तरह कटे रहते थे। हालांकि, वर्तमान सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और खर्च घटाने के लिए बजट कापी की छपाई काफी कम कर दी। पिछले वर्ष सिर्फ सांसदों (लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों) समेत चुनिंदा लोगों के लिए बजट प्रतियों की छपाई हुई। इस वर्ष सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए हलवा सेरेमनी भी आयोजित नहीं की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019 में अपना पहला बजट पेश करते हुए पिछले वित्त मंत्रियों द्वारा बजट कापी को एक ब्रीफकेस में संसद में ले जाने की वर्षो पुरानी परंपरा त्यागी थी। इसकी जगह वह बही-खाता के रूप में बजट दस्तावेज लेकर संसद पहुंची थी। पिछले वर्ष एक कदम आगे जाते हुए उन्होंने संसद में बजट के छपे दस्तावेज नहीं, बल्कि टैबलेट पर बजट के अंश पढ़े।

पिछले वर्ष स्वतंत्र भारत में ऐसा पहली बार हुआ कि बजट भाषण में संबंधित वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार के आय व व्यय, फाइनेंस बिल और टैक्स संबंधित दस्तावेज नहीं छापे गए थे।

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