23 November, 2024 (Saturday)

चीन के खिलाफ अमेरिका ने खेला तिब्‍बत कार्ड, ड्रैगन को लगा जोर का झटका, क्‍या है इसका भारतीय लिंक, जानें- एक्‍सपर्ट व्‍यू

ताइवान और हांगकांग के बाद चीन ने तिब्‍बत मामले को हवा दी है। ऐसा करके अमेरिका ने चीन के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। अभी तक दोनों देशों के बीच ताइवन को लेकर एक शीत युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। अब बाइडन प्रशासन ने तिब्‍बत का नाम लेकर चीन को और उकसा दिया है। दरअसल, अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत मामलों के लिए भारतीय मूल की राजनयिक अजरा जिया को अपना स्पेशल को-आर्डिनेटर नियुक्त किया है। इससे चीन पूरी तरह से तिलमिला गया है। एक तो मामला चीन का दूसरा उसमें अमेरिकी हस्तक्षेप और तीसरा भारतीय मूल के राजनयिक की नियुक्ति से चीन को जबरदस्‍त मिर्ची लगी है। अमेरिका के रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सांसदों का एक प्रभावशाली समूह पहले से ही तिब्बत मुद्दे में हस्तक्षेप करने और दलाई लामा से बात करने के लिए बाइडेन प्रशासन पर दबाव बना रहा था।

चीन के खिलाफ अमेरिका ने खेला तिब्‍बत कार्ड

1- राष्‍ट्रपति बाइडन ने भारतीय मूल के राजनयिक अजरा को तिब्‍बत पर एक समझौते के लिए चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच ठोस बातचीत को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी सौंपी है। प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने ऐसा करके तिब्‍बत के मामले को एक बार फ‍िर हवा दी है। हांगकांग और ताइवान की तरह चीन तिब्‍बत को अपना हिस्‍सा मानता है। ऐसा करके अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने यह संकेत दिया है कि तिब्‍बत भी एक स्‍वतंत्र क्षेत्र है। अमेरिका तिब्‍बत को चीन का हिस्‍सा नहीं मानता है। प्रो पंत का कहना है कि लोकतंत्र पर हमले के बाद राष्‍ट्रपति बाइडन प्रशासन ने तिब्‍बत के मामले को हवा दी है।

2- प्रो. पंत ने कहा कि ड्रैगन पर तिब्बत में सांस्कृतिक तथा धार्मिक आजादी पर हस्‍तक्षेप करने का आरोप है। उन्‍होंने कहा कि हालांकि, चीन इन आरोपों से इनकार करता रहा है। चीन और दलाई लामा के प्रतिनिधियों के बीच तिब्बत मुद्दे पर हाल के वर्षों में वार्ता नहीं हुई है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने वर्ष 2013 में पदभार संभालने के बाद से तिब्बत पर सुरक्षा नियंत्रण बढ़ाने के लिए एक सख्त नीति अपनाई है। चीन तिब्‍बत के बौद्ध भिक्षुओं और दलाई लामा के अनुयायियों पर कार्रवाई करता रहा है। चीन 86 वर्षीय दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। दलाई लामा तिब्बत से निर्वासित होने के बावजूद वहां के एक बड़े आध्यात्मिक नेता हैं।

3- प्रो. पंत ने कहा कि हाल के दिनों में चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन चीन ही करेगा। इस बात को लेकर चीन पर अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बड़ा दबाव है। अमेरिका पहले ही इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सामने रखने की मांग कर चुका है। इस पूरे मामले पर अमेरिका और भारत की पहले से नजर है। पिछले साल अमेरिकी दूत सैम ब्राउनबैक ने धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की थी। 84 वर्षीय दलाई लामा से मीटिंग के बाद ब्राउनबैक ने कहा था कि दोनों के बीच उत्तराधिकारी के मामले पर लंबी चर्चा हुई थी।

4- बता दें कि अमेरिका और चीन 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर दोनों देशों के बीच पहले से ही तनातनी चली आ रही है। चीन की इच्‍छा है कि वह अपने किसी खास को 15वें दलाई लामा की कुर्सी पर बैठाए। ऐसा करके चीन तिब्बत पर अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाहता है। इतना ही नहीं, तिब्बती संस्कृति के दमन को लेकर भी अमेरिका लगातार आवाज उठाता रहा है। चीन ने तिब्बती लोगों को बंधुआ मजदूर बनाकर देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने के लिए भेजा हुआ है। ऐसे में अमेरिका के इस ताजा नियुक्ति से भी विवाद गहराने के आसार हैं।

आखिर कौन है अजरा जिया

बाइडन ने भारतीय मूल के राजनयिक अजरा जिया को तिब्बत पर एक समझौते के लिए चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच ठोस बातचीत को आगे बढ़ाने का काम सौंपा गया है। इसकी मांग अमेरिकी सांसदों के दो पार्टियों वाले एक प्रभावशाली समूह ने कुछ दिनों पहले की थी। जिया ने इस पद पर उनके नाम की पुष्टि से संबंधित सुनवाई के दौरान सांसदों को बताया था कि उनके दादा भारत में स्वतंत्रता सेनानी थे। जिया ने जार्जटाउन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ फारेन सर्विस से स्नातक किया है। अपने राजनयिक करियर में नई दिल्ली में भी तैनात रह चुकीं जिया ने 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ विदेश सेवा से इस्तीफा दे दिया था। वह नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकारों की अवर सचिव भी हैं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *