सोनिया की जगह पवार के यूपीए का प्रमुख बनने की अटकलों को राकांपा ने किया खारिज, कही यह बात
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की देर-सबेर राजनीति से दूर होने की चर्चाओं के बीच यूपीए के नए अध्यक्ष को लेकर भी सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। इस क्रम में मराठा क्षत्रप शरद पवार को सोनिया की जगह यूपीए के नए चेयरपर्सन के लिए सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। मौजूदा वक्त में विपक्षी दलों के नेताओं को पवार की क्षेत्रीय दलों के नेताओं को साधने की क्षमता पर शायद ही किसी को संदेह है। लेकिन राकांपा ने बयान जारी कर इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है।
राकांपा ने खारिज की रिपोर्टें
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे (Mahesh Tapase) ने ऐसी अटकलों वाली मीडिया रिपोर्टों को पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें किसान आंदोलन (farmers agitation) से ध्यान भटकाने के लिए निहित स्वार्थ से जारी की गई हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की ओर से संप्रग अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के संबंध में असंतोषजनक खबरें देखी हैं। पार्टी स्पष्ट करती है कि ऐसे किसी प्रस्ताव के बारे में यूपीए के भागीदारों के बीच कोई चर्चा नहीं हुई है।
कांग्रेस भी चर्चाओं को नहीं दे रही तूल
यही नहीं कांग्रेस भी पवार के यूपीए का नया प्रमुख बनने की चर्चाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। रिपोर्टों के मुताबिक, कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए आने वाले जनवरी-फरवरी में चुनाव हो सकता है। यही नहीं सोनिया गांधी की राजनीतिक सक्रियता का दौर भी थमने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी वजह यह कि लंबे अर्से से सोनिया स्वास्थ्य की चुनौतियों से जूझ रही हैं… कई बार तो वह अस्पताल भी गई हैं। पिछले महीने तो दिल्ली की खराब हवा में अस्थमा बढ़ने की वजह से वह कुछ दिन के लिए गोवा भी रहीं। इसी वजह से पवार को यूपीए प्रमुख के नए विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
पवार का कौशल अभी धारदार
संकेत यह भी हैं कि राहुल गांधी को दोबारा कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया जाए। ऐसे में यदि यूपीए के प्रमुख के रूप में राहुल रहनुमाई करते हैं तो कम ही गुंजाइश है कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी शायद ही इस पर रजामंद हों। वैसे महाराष्ट्र में पिछले साल भाजपा की पूरी मशीनरी को मात देकर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनवा पवार ने एक बार फिर साबित कर दिया था कि उनके राजनीतिक कौशल के दांव अब भी धारदार है। इन्हीं वजहों का हवाला देते हुए रिपोर्टों में पवार को यूपीए का स्वाभाविक दावेदार बताया जा रहा है। हालांकि पवार भी 80 की उम्र पर पहुंचने जा रहे हैं।
विपक्षी राजनीति की बागडोर नहीं छोड़ेगी कांग्रेस
तर्क यह भी कि पवार के सोनिया और राहुल गांधी दोनों से अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन पवार के यूपीए का प्रमुख बनने की चर्चाओं पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि ऐसी कोई संभावना नहीं है। यूपीए का नेतृत्व पवार के हाथों में सौंपकर कांग्रेस भला विपक्षी राजनीति की बागडोर कैसे छोड़ देगी और यह तभी संभव है जब पवार अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लें, जिसकी संभावना अभी नहीं है। शिवसेना नेता संजय राउत ने पवार के यूपीए का प्रमुख बनने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। जहां तक पवार का सवाल है तो वे देश का नेतृत्व करने में सक्षम हैं।