02 November, 2024 (Saturday)

Armed Forces Flag Day 2020: जानें- भारत में क्‍यों मनाया जाता है सशस्‍त्र सेना झंडा दिवस और कब हुई थी इसकी शुरुआत

7 दिसंबर का दिन सेना और इसके जवानों के लिए काफी खास माना जाता रहा है। इसकी वजह ये है कि इस दिन भारतीय सेना अपने बहादुर जवानों के कल्‍याण के लिए लिए भारत की जनता से धन संग्रह करती है। इस दिन को सशस्‍त्र सेना झंडा दिवस कहा जाता है। भारतीय सेना की तरफ से गणमान्‍य से लेकर आम लोगों को भारतीय सशस्त्र सेना के प्रतीक चिन्ह झंडे को लगाकर उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वो अपने बहादुर जवानों के कल्‍याण के लिए कुछ आर्थिक सहयोग इस झंडे में शामिल लाल, गहरा नीला और हल्के नीले रंगों की पट्टियां तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करती हैं। 1949 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था। तब से लेकर आज तक ये निरंतर मनाया जा रहा है।

ये दिन हमें इस बात का भी अहसास दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातों में डटे जवानों के परिजनों के लिए हम भी दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस दिन को मनाने के पीछे तीन अहम मकसद हैं। इनमें पहला मकसद युद्ध के दौरान होने वाली हानि में सहयोग करना, दूसरा मकसद सेना के जवानों और उनके परिवारों की मुश्किल हालात में मदद करना, तीसरा मकसद रिटायर हो चुके जवानों और उनके परिवार का कल्‍याण करना।

आपको बता दें कि इस दिन देश के लाखों लोग सेना के जवानों के लिए आर्थिक सहयोग में भागीदारी निभाते हैं। इसके अलावा कोई भी इच्‍छुक व्‍यक्ति केंद्रीय सैनिक बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर भी ऑनलाइन अपना सहयोग इसमें कर सकता है। 28 अगस्‍त 1949 को तत्‍कालीन पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार द्वारा भारतीय सेना के जवानों के कल्‍याण के लिए धन एकत्रित करने के मकसद से एक कमेटी का गठन किया गया था। इसकी सिफारिशों के बाद ही 7 दिसंबर को इस दिन के लिए चुना गया।

इस दिन को मनाने का एक बड़ा मकसद ये भी था कि देश की जनता अपने बहादुर सैनिकों के प्रति अपना आभार व्‍यक्‍त कर सके और साथ ही उन्‍हें इस बात का भी अहसास हो सके कि उनकी और उनके परिवार की मदद करना कितना जरूरी है। सेना के जवानों की मदद और उनके कल्‍याण के लिए ये दिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी मनाया जाता है। इसमें ब्रिटेन जहां इसकी शुरुआत 1956 में हुई थी, इसके अलावा साइप्रस, केन्‍या और नाइजीरिया शामिल हैं।

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