क्या होता है डी डे, क्यों इसे मनाता है अमेरिका, जानें इसके बारे में सबकुछ
अमेरिका हर साल 07 जून को डी डे मनाया जाता है. इस दिन अमेरिका और मित्र देशों की सेनाओं ने हिटलर के नाजी शासन के खिलाफ हमले की शुरुआत की थी.
दरअसल इसका मतलब डी डे ही है और कुछ नहीं. डी एक कोड नाम था और कोड में इसे डी डे ही कहा गया था. ये दिन 06 जून 1944 का दिन था. जब 1.6 लाख जवानों से लैस मित्र देशों की सेनाएं नाज़ी-कब्ज़े वाले फ़्रांस में उतरीं, ये अब तक का सबसे बड़ा हवाई, ज़मीनी और समुद्री आक्रमण था.
पहले दिन काफी नुकसान और झटके वाला रहा. पहले 24 घंटों में 9,000 से ज़्यादा मित्र देशों के सैनिक मारे गए या घायल हो गए. इसके बावजूद डी-डे को मोटे तौर पर हिटलर के अत्याचारी शासन के अंत की सफल शुरुआत माना जाता है. उस दिन फ्रांस के इस नॉरमैंडी नामक स्थान पर हमला करने वाले पैराट्रूपर्स और सैनिकों की बहादुरी अमिट हो गयी.
इस समय अमेरिकी जनरल ड्वाइट डी. आइजनहावर थे. हम आपको बता दें कि किसी भी जल-थल अभियान की एक ‘प्रस्थान तिथि’ होती है; इसलिए संक्षिप्त शब्द ‘डी-डे’ का उपयोग किया जाता है. युद्ध के दौरान वास्तव में कई अन्य डी-डे हुए थे. नॉरमैंडी उनमें सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध था.
पहले दिन की विफलता के बाद भी अगले दिनों में अमेरिकी सैनिकों ने बढ़ता हासिल करनी शुरू कर दी. इसी हमले में मित्र देशों की सेनाओं ने एनिग्मा नामक जर्मन कोड मशीन को डिकोड कर दिया. एनिग्मा डिक्रिप्शन मशीन को “बॉम्बे” भी कहा जाता था. ये मशीन और कोड प्रणाली हिटलर की नाजी सेना की एक ऐसी तकनीक थी जिसे अटूट माना जाता था. आखिरकार पोलिश और ब्रिटिश विशेषज्ञों की एक टीम ने उस कोड को तोड़ा, जो आधुनिक कंप्यूटर की नींव बना.
हालांकि दुनिया को इसके बारे में बताने के बजाय, नेताओं ने सोचा कि अगर इसे गुप्त रखा जाए तो यह डिवाइस ज़्यादा उपयोगी होगी. लिहाजा इसे गुप्त रखकर जर्मनों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया. इसकी वजह से सैकड़ों हजारों लोगों की जानें भी बची.
1940 में फ्रांस के नाज़ियों के हाथों गिर जाने के तुरंत बाद, मित्र राष्ट्रों ने जर्मन कब्ज़ा करने वाली सेनाओं पर क्रॉस-चैनल हमले की योजना बनाई. फ्रांस की मुक्ति के लिए शुरुआती आक्रमण को ऑपरेशन ओवरलॉर्ड नाम दिया गया. मई 1944 तक, दक्षिणी इंग्लैंड में 28.76 लाख सैनिक इकट्ठा हो गए थे. 1,200 से अधिक विमान तैयार खड़े थे. आखिरकार आइजनहावर ने 5 जून को भोर से पहले आगे बढ़ने का फैसला किया.
6 जून, 1944 को फ्रांस के नॉरमैंडी के समुद्र तटों पर नाजी जर्मनी से लड़ने के लिए मित्रसेना की सेनाएं उतरने लगीं. वो फ्रांसीसी तटरेखा के 50 मील के हिस्से पर उतरीं. समुद्र की ओर से 5,000 से अधिक जहाजों और 13,000 विमानों ने डी-डे आक्रमण में हिस्सा लिया. दिन के अंत तक मित्र राष्ट्रों ने महाद्वीपीय यूरोप में पैर जमा लिया. मित्र देशों के 9,000 से अधिक सैनिक मारे गए या घायल हुए लेकिन इस अभियान ने एडॉल्फ हिटलर को हराने की शुरुआत कर दी
ऑपरेशन ओवरलॉर्ड के आक्रमण चरण को ऑपरेशन नेपच्यून के नाम से भी जाना जाता था. ये ऑपरेशन 30 जून 1944 को समाप्त हुआ.