भाजपा के जी का जंजाल बन गया आरक्षण विवाद
सैद्धांतिक और व्यवहारिक राजनीति में बड़ा फर्क होता है, जो अब संघ परिवार को समझ आ गया होगा| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत एक नहीं अनेक बार कह चुके हैं कि संघ असमानता दूर हो जाने तक संविधान प्रदत आरक्षण को जारी रहने के पक्ष में है| लेकिन खुद उन्होंने 2015 में एक बार आरक्षण की गैर राजनीतिक समीक्षा की बात कही थी|
संघ के किसी पदाधिकारी का कोई ऐसा बयान जो भाजपा की नीति के खिलाफ हो, उसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ता है, क्योंकि समाज में ऐसी धारणा बन चुकी है, या बना दी गई है कि भाजपा को वही करना होता है, जो संघ कहता है| भारतीय जनता पार्टी के इक्का दुक्का नेताओं को छोड़ दें, तो भाजपा आरक्षण विवाद से बची रहती है। हालांकि उसकी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय का 2013 का एक ट्विट सोशल मीडिया पर चल रहा है, जिसमें उन्होंने आरक्षण खत्म करने की बात लिखी थी| हालांकि उनका यह ट्विट उस समय का है, जब वह भाजपा आईटी सेल के प्रमुख नहीं थे| मोटे तौर पर भाजपा एक पार्टी के तौर पर एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण जारी रखते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण की भी हिमायती रही है। मोदी सरकार सरकार ने आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण लागू भी किया है, जिसे सुप्रीमकोर्ट ने भी 50 प्रतिशत की सीमा से ऊपर हरी झंडी दे दी है, जिसकी कांग्रेस के उदित राज ने सार्वजनिक तौर पर आलोचना की ह