दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को जुर्माना तो नहीं लगाया, मगर जमकर फटकार लगाई.
नई दिल्ली: जेल में बंद नेताओं को चुनाव के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार करने की अनुमति देने की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं, इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार भी लगाई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहता है कि जेल में बंद नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार की अनुमति दी जाये. उन्हें समझ में आ रहा है कि वो क्या अनुरोध कर रहे हैं. अगर ऐसा किया गया तो हर दुर्दांत अपराधी राजनीतिक दल बना लेगा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चुनाव प्रचार की मांग करेगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आपकी मांग मान ली जाए तो फिर ऐसे में दाऊद इब्राहिम एक राजनीतिक पार्टी बनाएगा और चुनाव लड़ेगा… हर रेपिस्ट, हत्यारा एक राजनीतिक पार्टी बनाएगा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रचार करने की मांग करेगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह कानून के मौलिक सिद्धांतों के विपरीत है.
हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से इस तरह की अनेक याचिकाएं कोर्ट में आ रही हैं, जिनमें या तो किसी को जेल से छोड़ने या किसी को बंद करने की मांग होती है. इनके पीछे प्रॉपोगैंडा भी है और पब्लिसिटी की चाहत भी. इसके बाद कोर्ट याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना भी लगाने वाला था, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने जुर्माना नहीं लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि वो लॉ स्टूडेंट है. कोर्ट ने जुर्माना तो नहीं लगाया पर कहा कि अपने क्लाइंट को शक्तियों के विभाजन के बारे में समझायें.
क्या मांग की गई थी
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर गिरफ्तार और जेल में बंद राजनीतिक नेताओं को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने की मांग की गई थी, जिस पर कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया.