हद हो गई ! कर्नलगंज थाना हार गई पुलिस, पता चला तो अफसर भी रह गए सन्न
महाभारत काल में जुआ खेल रहे पांडवों ने अपना सारा राज्य हारकर अपना सबकुछ गंवा दिया था। कुछ इसी तरह शहर की पुलिस भी एक लड़ाई में कर्नलगंज थाना हार गई है। इस बात की जानकारी जब अफसरों को लगी तो वह भी सन्न रह गए हैं। अब अफसर कर्नलगंज थाने के दस्तावेज खंगालने में जुट गए हैं।
अदालती लड़ाई में हारे
कानपुर की पुलिस अदालती लड़ाई में अपना कर्नलगंज थाने को हार गई है। यह फैसला पुराना है, मगर इसके बारे में किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी। पिछले दिनों सीओ कर्नलगंज को इस बाबत जानकारी हुई तो विभाग अब इससे जुड़े दस्तावेज तलाश रहा है। थाने में कोई दस्तावेज न मिलने से विभाग ने एसएसपी कार्यालय से मदद मांगी है।
अपनी जमीन पर नहीं है कई थाने
शहर में कर्नलगंज, अनवरगंज, मूलगंज, बेकनगंज, बादशाही नाका, काकदेव, कोहना, किदवईनगर और घाटमपुर थाने पुलिस विभाग की जमीन पर नहीं बने हैं। काकादेव सिंचाई विभाग, कोहना प्राथमिक स्कूल और घाटमपुर तहसील प्रशासन की जमीन पर बना हुआ है। अन्य थाने निजी जमीन पर बने हैं। कर्नलगंज थाना सबसे बड़ा और मुख्य मार्ग पर स्थित है।
सीओ कर्नलगंज दिनेश कुमार शुक्ला ने बताया कि थाने को लेकर वाद अदालत में चल रहा था। पुलिस अदालती लड़ाई हार गई है। उन्हें गुप्त रूप से यह सूचना मिली है, जिसके बाद उन्होंने थाने के दस्तावेज थाने में खंगलवाए, लेकिन पता नहीं चला। अब एसएसपी कार्यालय से जानकारी मांगी गई है।
पूर्व डिप्टी कलेक्टर का सावन भादौ हाउस था कर्नलगंज थाना
कर्नलगंज थाने को लेकर शहर के पूर्व डिप्टी कलेक्टर रहे मौलवी खलीलुद्दीन अहमद के परिवार से पुलिस की कानूनी लड़ाई चल रही है। नाम न छापने की शर्त पर इस परिवार के बुजुर्ग ने बताया कि यह जमीन खलीलुद्दीन अहमद के पिता मौलवी इलाही बख्श ने 9 नवंबर 1888 को खरीदी थी। खलीलुद्दीन तहसीलदार थे और डिप्टी कलेक्टर होकर रिटायर हुए। बीच शहर में उनकी कोठी थी।
सौ साल पहले गर्मियों के दिनों आरामगाह के रूप में इस जमीन पर 2500 वर्ग हिस्से में इस इमारत का निर्माण हुआ था। इमारत को सावन-भादौ हाउस नाम दिया गया, क्योंकि उनके पूर्वज गर्मियों की दोपहर इसी मकान में गुजारते थे। बाद में उनके पूर्वजों ने इस इमारत को स्टैंडर्ड साइकिल के शोरूम के लिए किराए पर दे दिया। जब कंपनी ने इमारत खाली की तो उसे एसपी सिटी के लिए आवंटित कर दिया गया। पुलिस का सबसे बड़ा अधिकारी तब यहीं बैठता था। बाद में यहां कर्नलगंज थाना बन गया। कानूनी विवाद के बारे में उन्होंने कुछ भी नहीं बताया।
कमजोर पैरवी से मिली हार
सूत्रों के मुताबिक अदालत में मिली हार के पीछे पुलिस की कमजोर पैरवी जिम्मेदार मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि अब अन्य थानों को लेकर भी चल रहे मुकदमों के बारे में जानकारी जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मुश्किल होगा जमीन मिलना
अगर किसी परिस्थिति में पुलिस को थाना खाली करना पड़ा तो पूरे कर्नलगंज क्षेत्र में जमीन मिलनी मुश्किल होगी। गौरतलब है कि थाने के आसपास कई संवेदनशील मोहल्ले हैं, थाना हटने की स्थिति में इन क्षेत्रों पर नियंत्रण मुश्किल होगा।