02 November, 2024 (Saturday)

महीने भर से हिंसा में क्यों जल रहा मणिपुर? कहां से सुलगी आग, लड़ाई का क्या है असली कारण?

मणिपुर में जारी हिंसा को एक महीना होने वाला है लेकिन माहौल अभी तक शांत होता नहीं दिख रहा है। हालात ये हैं कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के मिशन पर खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जाना पड़ा है। मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा होता जा रहा है।

कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच फिर से गोलीबारी हुई। लेकिन मणिपुर में आखिर महीने भर से क्यों आग लगी हुई है, इसका कारण हम आपको बताएंगे-

मणिपुर में हिंसा की दो मुख्य वजहें हैं-

  1. मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने पर कुकी और नागा समुदाय का विरोध
  2. सरकारी भूमि सर्वे और इस भूमि सर्वे के खिलाफ कुकी समुदाय

मैतई समुदाय का कुकी और नागा समुदाय कर रहे विरोध

मैतई समुदाय का कुकी और नागा समुदाय कर रहे विरोध

 

हिंसा की आग कहां से सुलगी

अधिकारियों ने बताया कि तीन मई को मणिपुर में जातीय दंगे की शुरुआत के बाद से मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है। दरअसल, मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने 3 मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य में प्रदर्शन किया था। ये लोग मैतेई समुदाय को मिले दर्जे का विरोध कर रहे थे। इसी प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई।

इसके बाद 4 मई को कुकी और मैतेई समुदाय आपस में भिड़ गए। इस दौरान जमकर आगजनी और तोड़फोड़ भी हुई। जिसके बाद 5 मई से राज्य में सेना की तैनाती कर दी गई।

राज्य में सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती

राज्य में सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती

 

मैतेई समुदाय 53%, नगा और कुकी समुदाय 40%
बता दें कि आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे। मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं। नगा और कुकी समुदायों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

अब राज्य में हालात सामान्य करने के लिए अर्धसैनिक बलों के अलावा सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां तैनात करनी पड़ीं, जिनमें 10,000 से अधिक कर्मी शामिल हैं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *