अगर बनते बनते बिगड़ जाता है हर काम, तो कुंडली में हो सकता है काल सर्प दोष, जानें इससे मुक्ति के उपाय
कई बार हम लोग दिन रात मेहनत करते हैं लेकिन इसके बाद भी हमें वो कामयाबी नहीं मिल पाती है जो हम चाहते हैं। दरअसल, कई बार इसके पीछे हमारी कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्र भी जिम्मेदार होते हैं। किस्मत के सितारों को चमकाने के लिए इनका ठीक रहना बेहद जरूरी होता है। ऐसे ही जब कुंडली में काल सर्प दोष होता है तो हमारा जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण हो जाता है। असफलता, अस्वस्थ शरीर और परिवार में क्लेश जैसी परेशानियां घेर लेती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जिसकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है उन्हें बीमारियों का खतरा काफी रहता है। इतना ही नहीं इनके साथ दुर्घटना की आशंका भी बढ़ जाती है। ऐसे में वक्त रहते हुए कुंडली में काल सर्प दोष की पहचान और इसका उपाय कर लेना चाहिए।
काल सर्प दोष दूर करने के उपाय
महादेव भोलेनाथ की करें पूजा
भगवान शिवजी को नाग अपना भगवान मानते हैं ऐसे में कुंडली में सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए महादेव की पूजा करें। हर सोमवार को रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और उनसे प्रार्थना करें। शिव शंकर आपकी सभी परेशानियों को दूर करेंगे। सावन में रुद्राभिषेक करना काफी फलदायी माना जाता है।
नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं
सोमवार के दिन शिवजी को नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करें। इस उपाय से आपकी कुंडली का सर्प दोष जल्द दूर हो जाएगा। इसके साथ ही महादेव आपको जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति दिला देंगे।
मिट्टी के शिवलिंग की पूजा करें
अगर संभव हो तो सवा लाख शिवलिंग बनाएं और फिर प्रतिदिन उसकी पूजा-अर्चना करें। अगर शिवलिंग नहीं बना सकते हैं तो 1100 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इस उपाय से भी कुंडली से काल सर्प दोष दूर हो जाता है।
राहु-केतु के मंत्रों का जाप करें
राहु और केतु के बीज मंत्रों का सवा-सवा लाख बार जाप करें। राहु का बीज मंत्र है- ‘ ॐ रां राहवे नमः’, केतु का बीज मंत्र है- ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः’। इन मंत्रों के उच्चारण से जीवन में आ रही हर समस्या दूर हो जाएगी।
काल सर्प दोष के लक्षण
- घर-परिवार में लड़ाई झगड़ा होना
- प्रेम संबंधों में परेशानी आना
- मन में नकरात्मक विचार आना
- दांपत्य जीवन में तनाव रहना
- संतान उत्पत्ति में बाधा आना
- हर काम में रुकावट आना
- मानसिक तनान होना
- नींद में काला नाग या सांप का दिखना
- मेहनत के बाद भी मन मुताबिक फल न मिलना
- कार्यक्षेत्र में विरोधि का प्रबल होना