भारत का विनिर्माण पीएमआई अप्रैल में बढ़कर 54.7 प्रतिशत: एसएंडपी ग्लोबल
नए ऑर्डर में तेजी की बदौलत भारत का विनिर्माण क्षेत्र पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में बढ़कर 54.7 अंक रहा। यह जानकारी वित्तीय परामर्श एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने दी। मार्च में विनिर्माण पीएमआई 54 अंक था।
पीएमआई में बढ़ोतरी घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में सुधार का संकेत है। पीएमआई के 50 अंक से ऊपर होने का मतलब आर्थिक गतिविधियों में विस्तार और उससे नीचे होने पर संकुचन माना जाता है।
एसएंडपी ग्लोबल की इस रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में गिरावट के बाद अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय बिक्री में मजबूत सुधार दिखा। लेकिन इस बीच मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ा। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जिंसों के भाव और परिवहन लागत बढ़ी है। उत्पादन सामग्री की लागत पिछले पांच महीनों की सबसे तेज गति से बढ़ी है जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति भी साल भर से अधिक समय के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है।
रिपोर्ट में कहा गया है,’अप्रैल के आंकड़ों से निर्यात ऑर्डर में फिर तेजी लौटने के संकेत हैं जबकि नौ महीने बाद मार्च में इसमें पहली बार गिरावट दिखी थी। जुलाई के बाद से निर्यात ऑर्डर में सबसे तेज सुधार दिखा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल में रसायन, इलेक्ट्रोनिक सामानों के हिस्से-पुर्जों, ईंधन, धातु, प्लास्टिक और कपड़े के दामों में बढ़ोतरी हुयी है। इसमें कुछ योगदान ढुलाई लागत का बताया गया है और एक बड़ा कारण यूक्रेन की लड़ाई है। मुद्रास्फीति तेज होकर अपने दीर्घकालीन औसत से ऊपर चल रही है और पिछले पांच माह के उच्चतम स्तर पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आने के बावजूद रोजगार में अप्रैल में सुधार हल्का ही रहा क्योंकि भारतीय औद्योगिक इकाइयों पर क्षमता की कमी का दबाव ज्यादा नहीं है।
इस रिपोर्ट के लिए सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश प्रतिभागियों ने कहा कि उनके यहां रोजगार में मार्च की तुलना में कोई ज्यादा अंतर नहीं हुआ था।
एसएंडपी ग्लोबल की सह निदेशक (अर्थशास्त्री) पॉलीआना डी लीमा ने कहा कि भारतीय विनिर्माण पीएमआई मार्च की गिरावट की एक हद तक भरपाई करते हुए सकारात्मक दायरे में बना हुआ है।