किसानों ने गेहूं तथा सरसों बेचने से खींचे हाथ
हरियाणा प्रदेश में के सिरसा जिले में सर्वाधिक गेहूं व सरसों का उत्पादन होता है लेकिन अबकी बार एमएसपी को लेकर किसानोंं ने गेहूं और सरसों को बेचने से हाथ खींच लिये हैं जिसके कारण अनाज मंडियां तथा खरीद केंद्र सूने पड़े हैं।
स्थिति यह है कि राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियां सरसों फसल का एक दाना भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीद पाई हैं। सरसों फिलहाल एमएसपी से 1500 रूपए तक महंगी बिक रही है जबकि गेहूं 20 से 30 रूपए प्रति क्विंटल। कुछ बड़े सेठों ने गेहूं और सरसों दोनों फसलों का भंडारण भी आरम्भ कर दिया है। जिले में फसल खरीद के लिए छह मंडियों के अलावा गावों में 61 खरीद केंद्र स्थापित किये गए हैं। किसानों को कहना है कि अबकी बार गेहूं फसल की बुवाई कम और मांग अधिक होने के कारण और अधिक मंहगे भाव पर बिकेगी, कमोबेश यही स्थिति सरसों फसल की भी है।
कृषि विभाग के उप निदेशक बाबू लाल के अनुसार अबकी बार दो लाख 92 हजार हैक्टेयर में गेहूं बिजाई है जबकि पिछले वर्ष तीन लाख 20 हजार हैक्टेयर में थी। जबकि सरसों फसल की बुवाई गत वर्ष की अपेक्षा 14 हजार हैक्टेयर में अधिक यानी 76 हजार हैक्टेयर में है,सरसोंं फसल की खरीद निजी कंपनियां कर रही हैं जबकि गेहूं हैफेड,खाद्य एवं आपूर्ति विभाग,एफसीआई और सेंट्रल वेयर हाऊस कर रहा है। नाथूसरी कलां के किसान राममूर्ति आर्य,रामपुरा ढिल्लों के बनवारी लाल,माधोसिंघाना के विजय बैनीवाल,का कहना है कि अबकी बार डीएपी खाद जरूरत मुताबिक नहीं मिल पाई जिससे गेहूं फसल की बुवाई कम हुई। किसानों ने खाली पड़े खेतों में मजबूरन सरसों फसल की बुवाई की। उन्होंने बताया कि मार्च में यकायक तापमान के बढ़ जान से गेहूं का दाना सिकुड़ गया जिसका पैदावार पर विपरित प्रभाव है। किसानों की मांग है कि भावांतर भरपाई की तर्ज पर किसानों को कम पैदावार का मुआवजा या फिर 1000 रूपये प्रति क्विंटल के लिहाज से बोनस देना चाहिए।
सिरसा मार्किट कमेटी के डीएमईओ चरणजीत सिंह गिल के अनुसार अब तक जिले में 28 लाख 37 हजार 749 क्विंटल गेहूं और तीन लाख 85 हजार 13 क्विंटल सरसों फसल की खरीद हुई है। गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रूपए प्रति क्विंटल है जबकि 2035 रूपए तक बिक रही है। सरसों का समर्थन मूल्य 5050 रूपए क्विंटल है जबकि 6500 तक बिक रही है। उन्होंने बताया कि अबकी बार गेहूं और सरसों दोनों ही फसलें बाजार में कम आने की उम्मीद है। जिसके दो कारण माने जा रहे हैं एक उत्पादन का कम होना तथा दूसरा मूल्य वृद्धि का अदेंशा।
सिरसा आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान मनोहर मेहता का कहना है कि किसानों द्वारा गेहूं और सरसों की बिक्री के लिए कम लाने से मंडी खाली पड़ी है। आढ़तियोंं को इस बात की चिंता सता रही है कि आखिर किसानों को फसल से पूर्व दी गई रकम की रिकवरी कैसे हो पाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि फसल उत्पादन कम होने से आढ़तियों के साथ-साथ मंडी मजदूरों की आय पर भी बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। इसी तरह,पेट्रोल पंप,परचून,खाद बीज के दुकानदार भी चिंता में हैं।