जानें, यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की पराजय के पांच बड़े कारण
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता ने अखिलेश यादव की एमवाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। यूपी में एक बार फिर मोदी-योगी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। यूपी की जनता ने मोदी-योगी की जोड़ी पर अपनी अपार आस्था दिखाई। जनता ने प्रदेश के विकास के लिए डबल इंजन की सरकार को हरी झंडी दी है। सवाल यह है कि अखिलेश यादव की हार के पीछे प्रमुख कारण क्या हैं? जीत का स्वपन देख रहे अखिलेश यादव और उनकी पार्टी से कहां चूक हुई? आइए जानते हैं समाजवादी पार्टी की हार के पांच बड़े फैक्टर।
1- राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ निरंजन साहू (ओआरएफ) का कहना है कि अखिलेश यादव अपने मतदाताओं को एकजुट करने में कामयाब नहीं हो सके। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के वक्त पार्टी में पिछड़ा और मुस्लिम वोटर गहराई से जुड़ा था। यह सपा का परंपरागत वोट था। मुलायम के बाद सपा का यह परंपरागत वोट बैंक दूर हुआ है। अखिलेश यादव इस वोट बैंक को साध पाने में विफल रहे हैं।
2- निरंजन साहू का कहना है कि यूपी के राजनीतिक समीकरण के चलते इस बार बड़ी तादाद में मुस्लिम वोट बैंक सपा में गया, लेकिन पिछड़ा और गरीब तबका अखिलेश यादव से खिन्न दिखा। भाजपा ने बहुत चतुराई से सपा के बैकवर्ड वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की है। भाजपा ने एक रणनीति के तहत शाक्य, मौर्य, लोध, गुर्जर और जाट नेताओं को आगे किया है। भाजपा में यूपी की कमान केशव प्रसाद मौर्य को सौंपी गई थी। केशव को यूपी का भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था। पश्चिमी यूपी में संजीव बालियान, हुकुम सिंह जैसे नेताओं को पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का काम सौंपा।
3- निरंजन साहू ने कहा कि सपा की हार का एक और कारण भी है। उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपना प्रचार अभियान देर से प्रारंभ किया। इसका असर चुनाव के नतीजों पर दिखा। इसके विपरीत भाजपा काफी पहले से चुनावी मोड पर थी। उसका केंद्रीय नेतृत्व चुनाव के पहले इस काम में जुट गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास नरेंद्र मोदी जैसा करिश्माई व्यक्तित्व भी है। इस चुनाव में भाजपा को फायदा मिला। भाजपा की जीत में मोदी एक बड़ा फैक्टर है।
4- उत्तर प्रदेश की जनता ने समाजवादी पार्टी की एमवाई फैक्टर को नकार दिया है। हालांकि, अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि उनकी चुनावी नैया एमवाई फैक्टर से पार हो जाएगी, लेकिन इस बार यूपी की जनता ने मोदी योगी के डबल इंजन की सरकार को हरी झंडी दी है। इससे यह साफ है कि मोदी योगी की जोड़ी को अपना समर्थन दिया है।
5- यूपी में विधानसभा चुनावों में सपा की संभावित हार का प्रमुख कारण पार्टी की अंदरुनी कलह भी है। इस बार चुनावी अभियान में चुनावी मंचों पर अखिलेश यादव ही दिखे। यह चुनाव समाजवादी पार्टी का कम और अखिलेश यादव का ज्यादा दिखा। पार्टी के संस्थापक मुलायाम सिंह यादव खराब स्वास्थ्य के कारण चुनावी रैलीयों में सक्रिय नहीं रहे। शिवपाल यादव व सपा के थिंक टैंक प्रो. रामगोपाल यादव भी चुनीवी प्रचार में नदारद रहे। इसका जनता के बीच इसका गलत संदेश गया।