नए विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए कांग्रेस ने तैयार किया बैकअप प्लान
गोवा और मणिपुर सरीखे छोटे राज्यों में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा होने की आंशका के मद्देनजर कांग्रेस के सामने अपने नवनिर्वाचित विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने की मशक्कत चुनाव अभियान की कसरत से कम नहीं है। गोवा और मणिपुर में पिछले चुनाव की तरह किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना कम ही मानी जा रही है। इसलिए कांग्रेस नेतृत्व ने पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए इस बार अपने विधायकों को राज्य से बाहर ले जाने का पूरा खाका तैयार किया है।
कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ व राजस्थान भेजे जाएंगे गोवा व मणिपुर के पार्टी विधायक
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ओर प्रबंधकों को इन राज्यों में अभी से तैनात कर दिया गया है तो कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को अपने-अपने राज्यों में पांचों चुनावी राज्यों के नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित घेरे में रखने का विशेष दायित्व सौंपा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पिछले हफ्ते ही गहलोत और बघेल की इसको लेकर बैठक हुई थी।
वरिष्ठ पार्टी नेताओं को चुनाव नतीजों से पहले ही राज्यों में भेजा गया
इसके बाद राहुल ने चुनावी राज्यों के प्रभारी महासचिवों के साथ कुछ वरिष्ठ नेताओं को पांचों चुनावी राज्यों में तैनात कर संभावित जीत वाले कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ सीधे संपर्क में रहते हुए उनकी सुरक्षा और निगरानी का दायित्व सौंपा है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और दिनेश गुंडू राव इसके लिए गोवा पहुंच गए हैं। जयराम रमेश के साथ पार्टी नेताओं की टीम मणिपुर में कांग्रेस विधायकों को सुरक्षित राज्य से बाहर निकालने की रणनीति को अंजाम देगी।
कांग्रेस विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए उठाया कदम
वैसे उत्तराखंड में कांग्रेस पूर्ण बहुमत की उम्मीद कर रही है, मगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों को राजस्थान ले जाने की तैयारी है। वहीं गोवा और मणिपुर के कांग्रेस विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ में सुरक्षित रखने का जिम्मा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर होगा। दरअसल, पिछले चुनावी अनुभवों को देखते हुए गोवा और मणिपुर में भाजपा के विधायकों की तोड़फोड़ करने को लेकर कांग्रेस को बड़ा खतरा लग रहा है।
जोखिम नहीं उठाना चाहती है कांग्रेस
2017 के चुनाव में गोवा में कांग्रेस 17 विधायकों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, मगर 13 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने तोड़फोड़ कर अपनी सरकार बना ली थी। मणिपुर में भी यही हुआ था, राज्य की 60 सीटों में से 28 सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका नहीं मिला और 21 सीटें हासिल करने वाली भाजपा ने जोड़तोड़ से सरकार बना ली थी। इन दोनों राज्यों में इस बार भी किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार कम हैं और ऐसे में कांग्रेस अपने विधायकों को इन राज्यों में रखने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। उत्तराखंड और पंजाब में भी ऐसी नौबत आने पर पार्टी ने इसी तरह का बैकअप प्लान तैयार कर रखा है।