हरियाणा में निजी क्षेत्र में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट 11 को करेगा सुनवाई, हाई कोर्ट ने 75 प्रतिशत कोटा देने पर लगा दी है रोक
निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार की याचिका पर 11 फरवरी (शुक्रवार) को सुनवाई करेगा। सोमवार को समय की कमी के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी। हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून-हरियाणा स्टेट एम्प्लायमेंट आफ लोकल कंडीडेट्स एक्ट, 2020 बनाया है।
इस कानून को कुछ लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गत तीन फरवरी को कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हरियाणा सरकार ने कानून पर रोक लगाने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सोमवार को हरियाणा सरकार की याचिका न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व बीआर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी। लेकिन अदालत का समय खत्म हो गया और याचिका पर सुनवाई का नंबर नहीं आया। पीठ ने समय की कमी के चलते याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी।
हालांकि, हरियाणा सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि यह मामला अर्जेट है। इसलिए इस पर कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर ले। लेकिन मामले में पेश हो रहे कुछ अन्य वकीलों ने मंगलवार को सुनवाई में दिक्कत जताई। इसके बाद कोर्ट ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।
हरियाणा सरकार ने गत चार फरवरी को इस मामले को अर्जेट बताते हुए प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ के समक्ष मेंशन किया था। इसने हाई कोर्ट का आदेश रिकार्ड पर पेश करने की शर्त पर मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश मान लिया था। इसी क्रम में सोमवार को मामला सुनवाई पर लगा था।
निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान करने वाला हरियाणा का कानून उन नौकरियों पर लागू होता है, जिनमें मासिक वेतन अधिकतम 30,000 तक है।