23 November, 2024 (Saturday)

दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति पुतिन आधिकारिक दौरे पर भारत आए, 21वें भारत-रूस सालाना समिट

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 दिसंबर को आधिकारिक दौरे पर भारत आए थे। राष्‍ट्रपति पुतिन 21वें भारत-रूस सालाना समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लिए थे। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच विशेष कूटनीतिक साझेदारी और रिश्तों की बेहतरी को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा वे जी-20 से लेकर ब्रिक्स और शंघाई कोआपरेशन आर्गनाइजेशन (एससीओ) से लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के तहत किए गए साझा कार्यों की समीक्षा भी हुई।

1- कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से राष्ट्रपति पुतिन की ये दूसरी विदेशी यात्रा थी। इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई रक्षा समझौते हुए। इससे न केवल सिर्फ भारत की सुरक्षा क्षमताएं बढ़ी, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों में भी गर्मजोशी आई। गत वर्ष भारत और रूस के बीच होने वाली सालाना वार्ता को कोरोना महामारी के कारण टाल दिया गया था। ऐसे में पुतिन के भारत के आने से दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए। यह इस साल रूस के बाहर पुतिन की दूसरी यात्रा थी। अपनी पहली यात्रा पर जून में वो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने जेनेवा गए थे। कोरोना महामारी की वजह से पुतिन जी-20 सम्मेलन में नहीं गए और न ही ग्लासगो में हुए जलवायु सम्मेलन में ही शामिल हुए. उन्होंने चीन का अपना दौरा भी इस कारण टाल दिया था।

2- इससे ज़ाहिर है कि पुतिन ये दिखा रहे हैं कि उनकी यात्रा सिर्फ़ भारत के साथ ख़ास रणनीतिक रिश्ते को मज़बूत करने के लिए नहीं है बल्कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और भी गहरे हो रहे हैं। अमेरिका के साथ भारत की नज़दीकियां बढ़ रही है, और रूस इससे खुश नहीं है, ऐसे में पुतिन का भारत आना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रूसी सरकार द्वारा 1 दिसंबर को दिए एक बयान में पुतिन के हवाले से लिखा गया था कि बहुध्रुवीय दुनिया में भारत एक सशक्त केंद्र हैं जिसकी विदेश नीति, दर्शन और सिद्धांत रूस के साथ मेल खाते हैं।

3- भारत ने वर्ष 2018 में रूस से 5.43 अरब डालर में एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का सौदा भी किया था। इसकी डिलीवरी को लेकर भी दोनों देशों में बातचीत हुई। इस सिस्टम की क्षमता 400 किलोमीटर तक है। इसका मतलब ये है कि यह पाकिस्तान में कहीं भी उड़ान भर रहे विमान को पकड़ सकता है। इसके साथ ही ये चीन से साथ सटी देश की सीमा की भी निगरानी कर सकता है। इसका मतलब यह है कि चीन जो अपनी तरफ हवाई अड्डे बना रहा है और मिसाइलें तैनात कर रहा है यह सिस्टम उनसे भी सुरक्षा दे पाएगा।

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