02 November, 2024 (Saturday)

कृषि कानूनों की वापसी पर बुधवार को लगेगी कैबिनेट की मुहर, किसानों ने पीएम मोदी को खुला पत्र लिखकर वार्ता बहाल करने की रखी मांग

कृषि सुधारों के लिए संसद से पारित तीनों कृषि कानूनों को लेकर सालभर से चलाए जा रहे आंदोलन के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को उनकी वापसी की घोषणा कर दी थी। कानून वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तैयार मसौदे पर आगामी बुधवार को होने वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मुहर लग सकती है। इस बीच कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha, SKM) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखा और वार्ता बहाल करने के साथ छह मांगें रखीं।

किसानों ने आंदोलन जारी रखने का लिया फैसला 

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि मंत्रालय की ओर से इस बारे में प्रस्ताव प्रस्ताव रखा जाएगा, जिस पर मंजूरी मिलने की संभावना है। प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार कानून वापसी की बाकी प्रक्रिया 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में पूरी हो जाएगी। सरकार की इस तैयारी के बावजूद आंदोलनकारी संगठनों ने कानूनों की संसद में वापसी तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है।

कानून वापसी के दो तरीके 

कानून वापसी के दो प्रमुख तरीके हैं। इसमें अध्यादेश के जरिये किसी कानून को वापस लिया जा सकता है, हालांकि इसके लिए भी छह महीने के भीतर उसे संसद से पारित कराना जरूरी होता है। इसके अलावा दूसरा तरीका यह है कि कानून वापसी के प्रस्ताव को संसद से पास कराया जाए। कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर से पहले कानून मंत्रालय से मसौदे की स्क्रूटनी भी कराई जाएगी।

कृषि मंत्रालय पेश करेगा प्रस्‍ताव 

बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी के बाद तीनों कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को कृषि मंत्रालय सीधे संसद में पेश करेगा। संसद के दोनों सदनों में प्रस्तावित विधेयक के मसौदे पर मत विभाजन कराया जाएगा। इसमें एक ही प्रस्तावित विधेयक पर तीनों कानूनों को वापस कराया जा सकता है। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से कानूनों की वापसी का विधेयक पारित होने के बाद उस पर अंतिम मुहर राष्ट्रपति से लगवाई जाएगी। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही उसे गजट में प्रकाशित किया जाएगा।

शीत सत्र में पेश होगा विधेयक 

सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक प्रस्तुत करेगी। कानून वापसी में विपक्ष की पहले से ही सहमति है, जिससे यह विधेयक बिना किसी बाधा के पारित हो जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की स्पष्ट घोषणा के बावजूद कुछ आंदोलनकारी संगठनों को अभी भी कानूनों की वापसी में संदेह लग रहा है। इसी वजह से उन्होंने अपना आंदोलन संसद से कानूनों के रद होने तक जारी रखने का निर्णय किया है।

एसकेएम ने सरकार से वार्ता बहाल करने की मांग उठाई

संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha, SKM) ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे खुले पत्र में कहा है कि सरकार को तुरंत किसानों से वार्ता बहाल करनी चाहिए। सरकार जब तक ऐसा नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसान संगठन ने आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाने की भी मांग की है। साथ ही कहा है कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनके परिवार को मुआवजा दिया जाए।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *