सुप्रीम कोर्ट का यूपी को हिरासत प्रमाण पत्र का सही प्रारूप रखने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक मामले में दाखिल हलफनामे पर असंतोष जाहिर किया और प्रदेश सरकार को सही प्रारूप में हिरासत प्रमाण पत्र रखने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि उसे संबंधित जेल अधिकारियों को वितरित किया जाना चाहिए और वर्तमान मामले व भविष्य में उसी प्रारूप में प्रमाण पत्र दाखिल किया जाना चाहिए।
हिरासत प्रमाण पत्र में विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदी की हिरासत अवधि समेत विभिन्न विवरण होते हैं। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने कहा कि बंदी की हिरासत अवधि के मामले में प्रमाण पत्र स्पष्ट होना चाहिए। पीठ उस मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने पिछले महीने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता की हिरासत अवधि प्रदर्शित करने वाला प्रमाण पत्र दाखिल करने को कहा था।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 1980 में घटना के वक्त याचिकाकर्ता नाबालिग था। शीर्ष अदालत उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे एक मामले में दोषी ठहराया गया था और उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जुलाई, 2019 के फैसले को चुनौती दी है। मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।-