अमेरिका ने कहा- ताइवान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को लेकर जताई चिंता
अमेरिका ने ताइवान जलडमरूमध्य और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक कार्रवाइयों पर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। साथ ही ताइवान की मदद के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। ताइवान में अमेरिकी संस्थान की निदेशक सैंड्रा ओडकिर्क ने कहा, क्षेत्र में शांति व स्थिरता में अमेरिका के साझा और स्थायी हित हैं।ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, हम चीन द्वारा क्षेत्र में पैदा किए जा रहे तनाव से चिंतित हैं। वहीं, यह पूछे जाने पर कि चीन द्वारा ताइवान पर हमले की स्थिति में अमेरिका क्या कदम उठाएगा पर उन्होंने कहा, ताइवान को लेकर हमारी स्थिति स्पष्ट है और यह बदल नहीं सकती। बता दें कि अमेरिका की ओर से यह बयान ऐसे वक्त आया है जब हाल में ताइवान के वायुक्षेत्र में चीन के 150 से ज्यादा जंगी जहाजों ने उड़ान भरी। पिछले 40 सालों में चीन व ताइवान के बीच तनाव चरम पर है।
ट्रंप की नीति के चलते बिछड़े परिवारों को मिलेगा मुआवजा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति से बिछड़े प्रत्येक प्रवासी परिवार को दसियों हजार डालर का मुआवजा मिलेगा। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन की नीति से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के तौर पर उन्हें यह राशि दी जाएगी। सूत्रों ने बताया कि प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले परिवार के प्रत्येक सदस्य को 4,50,000 डालर (करीब 3.37 करोड़ रुपये) तक की राशि मिल सकती है।
हालांकि, बाइडन प्रशासन और प्रभावित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की बातचीत अभी खत्म नहीं हुई है और कई लोगों को इससे बहुत कम मुआवजा मिलेगा। राष्ट्रपति ट्रंप की जीरो टालरेंस नीति के चलते 2018 के वसंत और गर्मियों में दक्षिणी सीमा पर लगभग 5,500 बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे। इनमें ज्यादातर मध्य अमेरिका के थे। हालांकि, अन्य देशों के अलावा ब्राजील, मेक्सिको और रोमानिया के लोग भी इसमें शामिल हैं।