शिविंदर के खिलाफ जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने मांगा चार महीने का समय, सुप्रीम कोर्ट बोला- कहानी न बनाएं
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के कोष में 2,397 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में जांच पूरी करने के लिए उसे चार महीने का वक्त और चाहिए। इस मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह आरोपित हैं।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले की जांच पूरी करने की समय सीमा के बारे में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ को यह जानकारी दी। इसके बाद न्यायालय ने सिंह की जमानत याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी। जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली पीठ के अन्य न्यायाधीश हैं।
पीठ ने पुलिस से जांच पूरी करने की समय सीमा बताने के लिए कहा और पूछा कि इसके लिए कितना समय लगना चाहिए? यह अंतहीन कहानी नहीं बनी रह सकती। पीठ ने कहा, ‘हम इसे सोमवार को सूचीबद्ध करेंगे।
सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आरोपित पिछले दो वर्ष से जेल में हैं। जांच के लिए अब उनके मुवक्किल की हिरासत की जरूरत नहीं है, क्योंकि मामले में दो आरोपपत्र पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं। पीठ ने पुलिस की रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि दिल्ली पुलिस के मुताबिक कोई अप्रत्याशित परिस्थिति नहीं बनी तो उसे जांच पूरी करने के लिए चार महीने का समय और चाहिए। इससे पहले मई में दिल्ली हाई कोर्ट ने सिंह की जमानत याचिका रद करते हुए कहा था कि उनके द्वारा की गई साजिश और कथित हेराफेरी की राशि का पता लगाने के लिए उन्हें हिरासत में रखना आवश्यक है।