DMRC की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की पीठ, पेड़ों के काटने का है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) को बताया कि उसकी याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ गठित कर दी गई है। डीएमआरसी ने याचिका में दावा किया है कि पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं मिलने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में उसकी कुछ परियोजनाओं का निर्माण कार्य रुक गया है और उसे प्रतिदिन 3.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को बताया कि मामला अदालत के संज्ञान में है और पीठ गठित कर दी गई है। इस पर मेहता ने संतोष जाहिर किया। उन्होंने सात सितंबर को भी याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। बताते चलें कि राष्ट्रीय राजधानी में डीएमआरसी के चौथे चरण की विस्तारीकरण परियोजना में कई पेड़ों की काटने की जरूरत है। इसके लिए कारपोरेशन ने 10 हजार से ज्यादा पेड़ों को चिह्नित किया है, लेकिन उसे अभी तक इन्हें काटने की अनुमति नहीं मिली है।
वहीं, पिछले महीने के अंत ेमें दिल्ली मेट्रो बोर्ड के निदेशकों की एक बैठक हुई थी। इसमें मेट्रो के आर्थिक स्थिति सहित अन्य मुद्दों पर चर्ची हुई। बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से मेट्रो को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
कोरोना की वजह से पिछले लगभग डेढ़ वर्षों से मेट्रो का परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिछले वर्ष 22 मार्च से पांच सितंबर तक मेट्रो का परिचालन बंद रहा था। छह सितंबर से प्रतिबंधों के साथ इसका परिचालन शुरू हुआ था। मात्र दस फीसद क्षमता के साथ मेट्रो का परिचालन हो रहा था।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से एक बार फिर से इस वर्ष अप्रैल में इसे बंद करना पड़ा। संक्रमण की स्थिति सुधरने के बाद मेट्रो का परिचालन तो शुरू हो गया है, लेकिन अभी भी यात्रियों को खड़े होकर सफर करने की अनुमति नहीं है। इस कारण मेट्रो में कुल क्षमता के मात्र 20 फीसद यात्री सफर कर रहे हैं।