भाजपा में साथी ढूंढ रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह, अमित शाह से मुलाकात के बाद राजनीतिक अटकलों का बाजार गर्म
कांग्रेस में मचे घमासान के बीच पार्टी से नाराज चल रहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर राजनीतिक अटकलों को तेज कर दिया है। शाह के आवास पर लगभग 45 मिनट चली बैठक में क्या बातें हुईं इसकी पुष्ट जानकारी तो नहीं मिल पाई, लेकिन बताते हैं कि कैप्टन कांग्रेस छोड़कर अपनी राह चलने की तैयारी कर चुके हैं और उसमें भाजपा व केंद्र सरकार का समर्थन चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार, कैप्टन कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के असंतुष्ट जी-23 के कुछ नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं।
कैप्टन की ओर से अमित शाह को दिए गए कुछ प्रस्ताव
बहरहाल, ताजा घटनाक्रम भाजपा के लिए पंजाब में अपनी सूखी सियासी जमीन को फिर से हराभरा करने का एक अच्छा अवसर हो सकता है, पर इसका फार्मूला भी कुछ ऐसा होना चाहिए जो दोनों के लिए फायदेमंद हो। माना जा रहा है कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन की पृष्ठभूमि में कैप्टन की ओर से शाह को कुछ प्रस्ताव दिए गए हैं। कैप्टन के सहयोगी रवीन ठुकराल ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने कृषि कानून खत्म करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी और फसल विविधीकरण में पंजाब की मदद के लिए अपील की। लेकिन सूत्रों के अनुसार इसका आधार सियासी है।
45 मिनट की मुलाकात से सियासी अटकलों का बाजार गर्म
ध्यान रहे कि कुछ वर्ष पहले भी कैप्टन के भाजपा में आने की अटकलें चली थीं, लेकिन तब कैप्टन को कांग्रेस में ही बढ़त मिल गई थी और मामला रुक गया था। अब जबकि कैप्टन खुद को हटाए जाने के तरीके से आहत हैं तो ऐन चुनाव के वक्त वह चुप नहीं बैठना चाहते। दूसरी तरफ अकाली दल के गठबंधन से हटने के बाद से भाजपा को भी फिलहाल एक सहारा चाहिए। लेकिन बड़ा अवरोध है कृषि कानून विरोधी आंदोलन जिसके फलने फूलने में कैप्टन ने ही शुरुआती मदद की थी। बताया जाता है कि कैप्टन की ओर से संकेत दिया गया है कि वह एक पार्टी बनाकर पंजाब में उतर सकते हैं। लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानून विरोधी आंदोलन को खत्म करने के लिए कुछ ठोस प्रस्ताव आए। एमएसपी से जुड़े किसी फैसले की घोषणा हो।
अमरिंदर का कांग्रेस छोड़कर अपनी राह चलने को माना जा रहा तय
अगर एमएसपी की गारंटी हो जाए तो यह किसानों के लिए बोनस जैसा होगा। अगर ऐसा होता है तो कैप्टन गतिरोध तोड़ने का बड़ा चेहरा लेकर मैदान में ताल ठोंक सकते हैं। केंद्र सरकार और भाजपा के लिए पंजाब में तो यह मुद्दा बनेगा ही, दूसरे प्रदेशों में भी थोड़ी राहत मिलेगी। कैप्टन जैसे साथी के साथ भाजपा को पंजाब में जमीन तैयार करने में मदद मिलेगी। साथी के रूप में चलने का फायदा दोनों को मिल सकता है।
एक अटकल यह भी है कि कैप्टन भाजपा के बैनर तले आ जाएं। हालांकि कैप्टन की उम्र और उनके तेवर दोनों अड़चन हैं, लेकिन इस विकल्प को भी खारिज नहीं किया जा रहा।सूत्रों के अनुसार, यह लगभग तय है कि कैप्टन कांग्रेस को बाय-बाय कह चुके हैं और किसी न किसी रूप में भाजपा ही उनकी नई साथी है। लेकिन फार्मूले पर अभी आखिरी फैसला नहीं हुआ है।