02 November, 2024 (Saturday)

सुसाइड के इन आंकड़ों से समझिए जिंदगी बचाने के तरीके

जैसे किसी बीमारी के इलाज के लिए बीमारी को समझना जरूरी है। उसी तरह आत्महत्या को रोकने के लिए इसके कारण और बचाव के तरीकों को गहराई से जानना बेहद जरूरी है। दरअसल आत्महत्या एक वैश्विक समस्या है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक हर साल करीब 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति है। प्रत्येक आत्महत्या के लिए, 20 से अधिक आत्महत्या के प्रयास होते हैं। विश्व स्तर पर, आत्महत्या से होने वाली अधिकांश मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों (79%) में हुईं, जहां अधिकांश (84%) दुनिया की आबादी रहती है। उम्र के लिहाज से देखें तो, वैश्विक आत्महत्याओं के आधे से अधिक (52.1%) केस 45 वर्ष की आयु के पहले के हैं। आत्महत्या से मरने वाले अधिकांश किशोर (90%) निम्न और मध्यम आय वाले देशों से हैं।

दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों में आत्महत्या का हिस्सा 1.3% था, जिससे यह 2019 में सुसाइड मृत्यु का 17 वां प्रमुख कारण बन गया।

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इन लोगों का ख्याल ज्यादा रखने की जरूरत

आत्महत्या और मानसिक विकारों में गहरा संबंध है। विशेष रूप से, अवसाद और शराब का सेवन आदि। पर कई आत्महत्या संकट के क्षणों में आवेग में होती हैं। जैसे हानि, अकेलापन, भेदभाव, संबंध टूटना, वित्तीय समस्याएं, पुरानी पीड़ा और बीमारी, हिंसा, दुर्व्यवहार, और संघर्ष या अन्य मानवीय आपात स्थितियों का अनुभव शामिल है। आत्महत्या के खतरे का सबसे बड़ा संकेत आत्महत्या का प्रयास है। यानी जो लोग आत्महत्या का प्रयास कर चुके हैं। उनका खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।

कोविड के चलते भारत में बढ़ा डर

वहीं एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2019 के दौरान भारत में कुल 1,39,123 आत्महत्या दर्ज की गईं, जो 2018 की तुलना में 3.4% ज्यादा हैं।

वहीं पल्स वन जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन फोरकास्टिंग सुसाइड रेट इन इंडिया : एन इंपीरियल एक्सपोजिशन के मुताबिक पिछले पांच दशक में भारत में आत्महत्या की दर बढ़ी है। वहीं कोविड-10 के चलते भी 2022 तक ये आंकड़े बढ़ सकते हैं। हालांकि अध्ययन में उम्मीद जताई गई है कि आने वाले सालों में भारत में आत्महत्या की दर गिरेगी। इस अध्ययन रिपोर्ट से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

पुरुष ज्यादा सुसाइड करते हैं-सुसाइड करने वालों में 66.2 पुरुष होते हैं। वहीं भारत में सुसाइड करने वालों में 33.8 फीसद महिलाएं हैं।

15 से 29 साल सबसे डेंजरस-सुसाइड करने वालों में इस उम्र के लोगों का प्रतिशत 35.6 है। यानी सबसे ज्यादा। इसके बाद 30 से 44 की उम्र के लोगों का प्रतिशत 33 है।

पढ़ाई और सुसाइड में भी संबंध

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सुसाइड करने वालों में अशिक्षित, प्राइमरी, माध्यमिक और सेकेंडरी का प्रतिशत क्रमश: 23.6 फीसद, 25.6 फीसद और 23.9 फीसद है। वहीं स्नातक और प्रोफेशनल्स क्रमश: 1.9 फीसद और .5 फीसद है।

बच्चों पर भी खतरा

केंद्रीय एजेंसी एनसीआरबी द्वारा संसद को सौंपी गई एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल में 14 से 18 वर्ष के बीच के 24,568 बच्चों ने खुदकुशी की है।

केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कि परीक्षा में असंतोषजनक परिणाम के कारण 4,000 बच्चों ने आत्महत्या की है। आंकड़ों के मुताबिक, 24,568 मामलों में से 13,325 पीड़ित बच्चियां हैं।

सुसाइड रोकने के लिए किन देशों ने क्या किया

भारत में आत्महत्या रोकने के लिए कीटनाशकों की बिक्री प्रतिबंधित की है। अब कोई नाबालिग इसे नहीं खरीद सकता है। वहीं आत्महत्या पर श्रीलंका में किया गया सर्वे सबसे अधिक प्रभावी माना गया। श्रीलंका में प्रतिबंधों की लंबी लिस्ट के कारण आत्महत्याओं में 70% गिरावट आई। कोरिया गणराज्य ने भी इस दिशा में सफलता हासिल की है, जहां 2000 के दशक में बड़ी संख्या में पैराक्वाट कीटनाशक से आत्महत्याएं हुईं, लेकिन 2011-2012 में पैराक्वाट पर प्रतिबंध के बाद 2011 और 2013 के बीच कीटनाशक से होने वाली मौत में कमी आई थी।

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