24 November, 2024 (Sunday)

पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने भरा फर्राटा, जानिए GDP के आंकड़ों पर एक्‍सपर्ट्स की क्‍या है राय

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने मंगलवार को कहा कि देश के माइक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल्स बहुत मजबूत हैं और अर्थव्यवस्था संरचनात्मक सुधार, पूंजीगत व्यय और वैक्सीनेशन की तेज रफ्तार की बदौलत ठोस वृद्धि की राह पर है। पहली तिमाही के जीडीपी वृद्धि से जुड़े आंकड़े को लेकर मीडिया को जानकारी देते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि जून तिमाही के ग्रोथ के आंकड़े ने एक बार फिर से वी शेप रिकवरी की सरकार के अनुमान पर मुहर लगा दी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून, 2021) के दौरान देश की जीडीपी में 20.1 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की इकोनॉमी में 24.4 फीसद का संकुचन दर्ज किया गया था।

सुब्रमण्यम ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कोरोना-महामारी से पूर्व के स्तर से ज्यादा वृद्धि देखने को मिलेगी और GDP Growth हालिया इकोनॉमिक सर्वे के अनुमान की तरह के होंगे।

कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर के बावजूद सुब्रमण्यम ने चालू वित्त वर्ष में 11 फीसद की आर्थिक वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है।

इंडस्ट्री चैंबर भी उत्साहित

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की 20.1 फीसद आर्थिक विकास दर से भारतीय उद्योग जगत खासा उत्साहित है। उसका कहना है कि यह आंकड़ा दर्शाता है कि महामारी की चपेट में आने वाली अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट रही है। उद्योग संगठन सीआइआइ ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों पर महामारी की दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद जीडीपी में तेज वृद्धि उत्साहजनक है।

पीएचडीसीसीआइ के अनुसार पिछली कई तिमाहियों में सरकार द्वारा किए गए सार्थक और सक्रिय सुधारों ने अर्थव्यवस्था को 2020-21 की पहली तिमाही के निचले स्तर से वापस ऊपर खींचा है। इसी के चलते अर्थव्यवस्था में तेज सुधार देखने को मिला है। संगठन के प्रेसिडेंट संजय अग्रवाल ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कुल मांग को बढ़ावा देने के लिए घरेलू खपत और निजी निवेश को बढ़ाने की जरूरत है। एसोचैम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से कोरोना पूर्व की स्थिति की ओर बढ़ रही है और इसके लिए सरकार बधाई की पात्र है।

लो बेस इफेक्ट का भी है योगदान

नाइट फ्रैंक इंडिया की प्रमुख अर्थशास्त्री और नेशनल डायरेक्टर (रिसर्च) रजनी सिन्हा ने कहा, ”पिछले साल के बहुत निचले आधार की वजह से पहली तिमाही में जीडीपी में तेज वृद्धि देखने को मिली। कोरोना की दूसरी लहर की वजह से तिमाही आधार पर अप्रैल-जून तिमाही के दौरान जीडीपी के अधिकतर पैमानों में गिरावट देखने को मिली। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर का उतना असर इकोनॉमी पर देखने को नहीं मिला है, जितना पहली तिमाही में देखने को मिला था। यह चीज अन्य आर्थिक संकेतकों में भी देखने को मिल रहे हैं।”

IDFC AMC के इकोनॉमिस्ट (फंड मैनेजमेंट) श्रीजीत बालासुब्रमण्यम ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लो बेस इफेक्ट की बदौलत नॉमिनल जीडीपी में सालाना आधार पर 31.7 फीसद और वास्तविक जीडीपी में 20.1 फीसद की ग्रोथ देखने को मिली।

उन्होंने कहा कि मोबिलिटी इंडेकेटर्स, बिजली की मांग और जीएसटी ई-वे बिल्स से जुड़े हालिया आंकड़ों में रिकवरी देखने को मिली है। इसके साथ ही एक्सपोर्ट में अच्छे संकेत नजर आ रहे हैं। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका को देखते टीकाकरण की रफ्तार अहम होगी।

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