23 November, 2024 (Saturday)

ई-रुपी वाउचर सरकार का साहसिक कदम, सरकार और लाभार्थी दोनों का मकसद होगा पूरा

इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि आजादी के बाद देश और लोगों का आर्थिक स्तर सुधरा है। और इस सुधार में सरकारी जनकल्याण योजनाओं की प्रभावी भूमिका है। सरकारी योजनाओं की सामान्य कार्यप्रणाली इस तरह से समझिए। टीबी के मरीजों के लिए सरकार दवा देना चाहती है। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग इन दवाओं को खरीदता है जिसमें कमीशन लेने की आशंका को कोई खारिज नहीं कर सकता है। इसके बाद सरकारीकर्मी इन दवाओं को विभाग से लेकर उन्हें ब्लैक में बेच सकते है। यदि दवा मरीज तक पहुंच भी गई तो वह भी उस दवा को बेच सकता है। रुपी वाउचर प्रणाली के तहत सरकार दवा की रकम को निर्धारित बैंक में जमा करा देगी। दवा को किन दुकानों से खरीदा जा सकता है यह निर्धारित कर देगी। इसके बाद मरीज के फोन पर एक कोड भेजेगी। मरीज उस कोड को अपनी मनपसंद दुकान को दिखाकर उससे दवा प्राप्त कर सकता है। अंत में दुकानदार उस कोड को बैंक को देकर उस दवा को प्राप्त कर सकता है।

इस नई व्यवस्था में भी रिसाव की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत मिले अनाज का हर गांव में एक असंगठित बाजार बन चुका है। प्रणाली से मिले सस्ते अनाज को लोग औने-पौने दाम पर बेच देते हैं। इसी प्रकार ई-रुपी वाउचर से मरीज द्वारा दुकानदार को कोड दे दिया जाएगा लेकिन मरीज द्वारा उससे दवा के स्थान नगद लिया जा सकता है, अथवा दूसरी दवा ली जा सकती है, 100 रुपये की दवा के एवज में दुकानदार मरीज को 70 रुपये दे देगा और स्वयं बैंक से 100 रुपये ले लेगा। फिर भी यह कदम साहसिक है। चूंकि भ्रष्टाचार कम होगा और जनता सबल होगी।

जनता को मूर्ख मानने की विचारधारा लोकतंत्र की सोच के विपरीत है। लोकतंत्र में हम मानते हैं कि जनता ही सर्वभौमिक सत्ता की अधिकारी है। यदि जनता मूर्ख है तो उसे यह अधिकार क्यों दिया गया? इसलिए इन तमाम योजनाओं को समाप्त कर एक मुश्त रकम जनता के खाते में ट्रांसफर करना चाहिए जिससे जनता अपने सार्वभौमिक विवेक के अनुसार उस रकम का उपयोग कर सके। सरकार को जन शिक्षा में निवेश करना चाहिए जैसे मां अपने बच्चे को हर छोटी-बड़ी बात के लिए समझाती है, वैसे ही सरकार को जनता को समझाना चाहिए। वास्तव में जनता अपने हित को अच्छे से समझती है। गरीब लोग भी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में पढ़ाने के लिए अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च करने को तैयार रहते है। उन्हें अपना हित हासिल करना खूब आता है। इतना सही है कि एकमुश्त रकम को ट्रांसफर करने से 100 में से पांच लाभार्थी द्वारा रकम का दुरुपयोग किया जाएगा, लेकिन इन पांच लाभाíथयों के कारण 95 लाभाíथयों को मूर्ख घोषित करने का क्या औचित्य है? इस परिप्रेक्ष्य में ई-रुपी वाउचर सही दिशा में साहसिक कदम है। इतना माना गया कि मरीज केवल आधा मूर्ख है। दवा लेना जरूरी है यह मूर्ख मरीज नहीं जानता लेकिन दवा कहां से खरीदना है, यह विद्वान मरीज जानता है। जनता के प्रति इस आधे विश्वास को ई-रुपी वाउचर से पूरे में बदला जा सकता है। इसे तार्किक परिणाम पर ले जाने की जरूरत है। सभी योजनाओं पर व्यय संपूर्ण रकम को जनता को सीधे ट्रांसफर करने का अगला कदम उठाना चाहिए।

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