असम-मिजोरम विवाद: कांग्रेस की राजनीति पर भड़के पूर्वोत्तर के सांसद, विभाजनकारी सियासत को लेकर पीएम को किया आगाह
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर कांग्रेस की राजनीति को लेकर पूर्वोत्तर भारत के सांसद भड़क गए हैं। पूर्वोत्तर भारत के लगभग एक दर्जन सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति को लेकर आगाह किया है।
पूर्वोत्तर के सांसदों ने पीएम को पत्र लिख कांग्रेस पर विभाजनकारी राजनीति का लगाया आरोप
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन सांसदों ने कांग्रेस पर आजादी के बाद से ही पूर्वोत्तर भारत की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार कांग्रेस ने आजादी के बाद से ही राजनीतिक स्वार्थ के लिए विभिन्न गुटों को आपस में लड़ाने का काम किया, जिसके कारण पूर्वोत्तर भारत आतंक और हिंसा का शिकार होता रहा।
मोदी सरकार आने के बाद विवादों को सुलझा कर सबको साथ लाने काम किया गया
2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद न सिर्फ पूर्वोत्तर भारत में तेजी से विकास हो रहा है, बल्कि पुराने विवादों को सुलझा कर सबको साथ लाने काम भी किया गया है। यही कारण है कि विभिन्न प्रतिबंधित आतंकी गुटों के लोग हथियार छोड़कर मुख्य धारा में लौट रहे हैं।
पूर्वोत्तर के सांसदों ने कहा-असम और मिजोरम ने वार्ता से मतभदों को दूर करने की प्रतिबद्धता दोहराई
पूर्वोत्तर के सांसदों का कहना है कि असम और मिजोरम दोनों राज्यों ने बातचीत से आपसी मतभदों को दूर करने और सीमा विवाद के स्थायी समाधान खोजने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
कांग्रेस असम और मिजोरम विवाद को हवा देकर राजनीतिक रोटी सेंकने की कर रही कोशिश
पूर्वोत्तर के सांसदों का कहना है कि कांग्रेस इस विवाद को हवा देकर राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश कर रही है जो देश की एकता और अखंडता के लिए ठीक नहीं है।
असम विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति को कर दिया खारिज
उनके अनुसार दो साल पहले सीएए और एनआरसी के दौरान भी कांग्रेस ने यही रवैया अपनाया था, लेकिन पिछले दिनों असम में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति को खारिज कर दिया। पत्र लिखने वाले सांसदों में कानून मंत्री किरण रिजिजू, असम के पूर्व मुख्यमंत्री व मौजूदा केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनेवाल और भाजपा महासचिव दिलीप सैकैया शामिल हैं।