कोरोना नियमों में ढील की वजह से जुलाई में बढ़ी पेट्रोल की खपत, प्री-कोविड लेवल पर पहुंची
देश में जुलाई माह के दौरान ईंधन की मांग में वृद्धि दर्ज की गई है, साथ ही पेट्रोल की खपत महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई। दरअसल, कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण लगाए गए प्रतिबंधों में ढील की वजह से ये वृद्धि हुई है। मार्च के बाद यह लगातार दूसरा महीना है जब देश में ईंधन की खपत बढ़ी है। ईंधन की मांग मार्च 2021 में सामान्य होने के करीब थी, लेकिन कोविड की दूसरी लहर के कारण लगाए प्रतिबंधों से ईंधन की बिक्री कम हो गई थी। भारत की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन एस एम वैद्य ने 30 जुलाई कहा था कि पेट्रोल की मांग बढ़कर महामारी से पहले स्तर पर पहुंच गई है। क्योंकि लोग अब सार्वजनिक वाहनों के बजाय निजी वाहनों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने जुलाई 2021 में 23.7 लाख टन पेट्रोल की बिक्री की। जो इससे पिछले वर्ष के इसी महीने के मुकाबले 17 फीसद अधिक है। जुलाई, 2019 में पेट्रोल की बिक्री 23.9 लाख टन रही थी।
कोविड की वजह से कई राज्यों में लॉकडाउन और प्रतिबंधों से मई 2021 में ईंधन की खपत पिछले साल अगस्त के बाद से सबसे कम हो गई थी। हालांकि, प्रतिबंधों में ढील के बाद आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने से जून में ईंधन की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई। डीजल की मांग नवंबर में दीपावली के आसपास कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन ऐसा तभी संभव है जब संभावित महामारी की संभावित तीसरी लहर के दौरान अंकुश नहीं लगाए जाएं।
इस दौरान रसोई गैस सिलेंडर यानी LPG की मांग सालाना आधार पर 4.05 फीसद बढ़कर 23.6 लाख टन पर रही। यह जुलाई, 2019 के मुकाबले 7.55 फीसद अधिक है। वहीं विमानन कंपनियों ने यात्रा प्रतिबंधों के कारण अभी तक पूरे पैमाने पर परिचालन फिर से शुरू नहीं किया है।