गवाह हैं आंकड़े- शिक्षा की व्यवस्था जितनी सुदृढ़, अर्थव्यवस्था की बुनियाद उतनी मजबूत
किसी देश की शिक्षा नीति और वहां के आर्थिक विकास के बीच का संबंध बहुत व्यापक विमर्श का प्रश्न रहा है। समय-समय पर कई एजेंसियों ने इस संबंध में शोध किए हैं। इस मामले में भले ही सीधे आंकड़ों के आधार पर कोई नतीजा देना संभव नहीं है, लेकिन इस बात पर तमाम जानकार एकमत रहे हैं कि किसी देश में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था जितनी सुदृढ़ होती है, वहां की अर्थव्यवस्था को उतनी ही मजबूत बुनियाद मिलती है।
किसी देश की शिक्षा और उस देश की आर्थिकी का संबंध हमारे मनीषियों के एक श्लोक से समझा जा सकता है। विद्या ददाति विनयम्, विनयाद् याति पात्रताम्, पात्रत्वात् धनमाप्नोति। धनाद् धर्म:, तत: सुखम्। यानी विद्या से विनय आती है, विनय हमें हर चीज के लायक बनाती है। जब हम निपुण बनते हैं तो धन की प्राप्ति होती है और फिर हमारे कल्याण स्तर में इजाफा होता है। आधुनिक युग की अर्थव्यवस्था में शिक्षा की अहमियत पर आइए डालते हैं एक नजर…
अहम निष्कर्ष
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) शिक्षा और उससे जुड़े सामाजिक-आर्थिक लाभ पर कई अलग-अलग रिपोर्ट निष्कर्ष दिए हैं। ओईसीडी के कुछ अहम निष्कर्ष निम्नलिखित हैं।
-उच्च शिक्षा से व्यक्ति को रोजगार मिलने की संभावना बढ़ जाती है। ओईसीडी और इसके सदस्य देशों में उच्च डिग्री वाले लोगों की कमाई अन्य की तुलना में ज्यादा पाई गई है।
-ओईसीडी के सदस्य देशों में उत्तर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त पुरुष से सार्वजनिक संपत्ति में 1,37,700 डालर और महिला से 67,900 डालर का रिटर्न मिलता है। शिक्षा की इस श्रेणी में विश्वविद्यालयों, मैनेजमेंट स्कूल-कालेजों आदि को शामिल किया जाता है।
-छोटी अवधि की विभिन्न उत्तर माध्यमिक डिग्री के मुकाबले ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डाक्टरेट या इसके समकक्ष किसी डिग्री से समाज को ज्यादा रिटर्न मिलता है।
-बच्चों की शुरुआती शिक्षा पर किया गया खर्च व्यक्तिगत रूप से और समाज के स्तर पर बेहतर रिटर्न देता है।
उच्च शिक्षा बनाम सबको प्राथमिक शिक्षा
यह बड़ा प्रश्न है कि ज्यादा से ज्यादा उच्च शिक्षा वाले लोगों पर जोर देना समाज के लिए जरूरी है या सभी को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना। अमेरिका के कुछ शोधकर्ताओं ने इसे जानने के लिए अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर विभिन्न देशों का अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि किसी देश के सर्वागीण विकास के लिए जरूरी है कि वहां हर नागरिक को प्राथमिक स्तर की शिक्षा मिले और उनमें से बड़ी संख्या उच्च शिक्षा हासिल करे। इन दोनों के योग से ही समाज का संपूर्ण विकास होता है।
गुणवत्ता का सवाल
यूनेस्को की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कम आय वाले देशों में बड़ी आबादी साक्षर हुए बिना ही प्राथमिक शिक्षा पूरी कर लेती है। निश्चित तौर पर यह शिक्षा की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल है।
केस स्टडी
2008 में घाना में एक अध्ययन में पाया गया था कि 15 से 29 की उम्र की आधी लड़कियां और तिहाई लड़के एक वाक्य भी पढ़ने में सक्षम नहीं थे, जबकि उन्होंने कागजी तौर पर छह साल स्कूली शिक्षा ली थी।
बचती हैं जिंदगियां
आर्थिक के साथ-साथ शिक्षा किसी समाज में स्वास्थ्य के स्तर को भी बेहतर करती है। यूनेस्को ने 2011 में एक आकलन किया था। इसके अनुसार, यदि उप-सहारा क्षेत्र में महिलाएं कम से कम माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर पातीं, तो 2008 में 18 लाख बच्चों का जीवन बचाना संभव होता। शिक्षा प्राप्त करने से व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जागरूक होता है।