01 November, 2024 (Friday)

कंप्यूटर की तरह मोबाइल फोन की भी हो सकती है हैकिंग, वाट्सएप से इस तरह लगाई जा सकती है सेंध

पेगासस जासूसी कांड के बीच एक बार फिर साइबर क्राइम से बचने के लिए सुरक्षित प्रबंध होने की चर्चा छिड़ गई है। लैपटाप और डेस्कटाप की तरह मोबाइल फोन को भी आसानी से मालवेयर अटैक का शिकार बनाया जा सकता है। आइटी एक्सपर्ट के मुताबिक इससे बचने के लिए सबसे प्रमुख उपाय सतर्कता है या फोन को हमेशा फार्मेट करते रहना है। हाल ही में नैसकाम ने अपनी रिपोर्ट में डार्कसाइड रैनसमवेयर की चेतावनी दी थी जो दुनिया के 15 देशों में रैनसमवेयर के मदद से लोगों से वसूली करता है। आइटी मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सीईआरटी-ईन के मुताबिक वर्ष 2020 में भारत में 11.6 लाख साइबर हमले हुए जो वर्ष 2019 के मुकाबले तीन गुना अधिक हैं।

आइटी एक्सपर्ट जितिन जैन के मुताबिक सामान्य मालवेयर में ¨लक पर क्लिक करना होता है फिर वह मोबाइल फोन में प्रवेश कर पाता है, लेकिन पेगासस को मोबाइल फोन में घुसने के लिए क्लिक की जरूरत नहीं है। सिर्फ मैसेज के जरिए ही काम हो जाता है। यह मालवेयर मोबाइल फोन के हर डाटा की कापी कर लेता है। यहां तक कि मोबाइल फोन के कैमरे और माइक्रोफोन को आन कर सकता है ताकि बातचीत सुनी जा सके।

विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि आम भारतीय लैपटाप और डेस्कटाप के लिए एंटी वायरस पैक लेते हैं या वायरस से बचने का अन्य उपाय करते हैं, लेकिन मोबाइल फोन के लिए ऐसा नहीं करते। जबकि आजकल के अधिकतर मोबाइल फोन लैपटाप और डेस्कटाप से अधिक शक्तिशाली होते हैं। ऐसे में मोबाइल फोन भी पूरी तरह से मालवेयर हमलावर के निशाने पर हैं।

एंटी वायरस प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनी नार्टन की रिपोर्ट के मुताबिक एपल आइओएस यूजर्स को मालवेयर अटैक से बचने के लिए बेहतर सुरक्षा मुहैया कराती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एपल फोन को हैक नहीं किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक डाटा चोरी करने के उद्देश्य से कई एंड्रायड फोन में पहले से ही मालवेयर इंस्टाल होते हैं।

क्या-क्या है खतरा

पेगासस का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया, लेकिन आइटी विशेषज्ञों के मुताबिक मालवेयर अटैकर्स मोबाइल फोन को हैक कर उसके डाटा चोरी करने के साथ यूजर्स से फोन को फ्री करने के लिए पैसे मांग सकते हैं।

 क्या है बचने का तरीका

आइटी विशेषज्ञ वकील पवन दुग्गल कहते हैं, मोबाइल फोन की सुरक्षा को जीवन जीने की शैली का हिस्सा बनाना होगा। जागरूकता और सतर्कता से ही इस प्रकार की जालसाजी से बचा जा सकता है। नियमित तौर पर फोन को फार्मेट करते रहें। संवेदनशील डाटा को फोन में रखने से बचे। एसबीआइ के चेयरमैन डीके खरे भी मानते हैं कि सतर्क रहकर ही साइबर हमले से बचा जा सकता है।

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