बारिश के मौसम में क्यों गिरती है बिजली, थोड़ी सावधानी अपना कर टाल सकते बड़ा खतरा
हर बार मानसून में बारिश के दौरान बिजली चमकती और गिरती है। यह स्वाभाविक मौसम चक्र है, लेकिन प्रमुख वजह यह है कि जब नम और शुष्क हवा संग बादल टकराते हैं तो बिजली चमकती है और गिरने का खतरा होता है। मौसम विज्ञानी कहते हैं कि थोड़ी सावधानी से बड़े खतरे को टाला जा सकता है और जान-माल के नुकसान से बचा जा सकता है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय बताते हैं कि आसमान में धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल उमड़ते-घुमड़ते हुए जब एक-दूसरे के पास आते हैं तो टकराने (घर्षण) से उच्च शक्ति की बिजली उत्पन्न होती है। इससे दोनों तरह के बादलों के बीच हवा में विद्युत-प्रवाह गतिमान हो जाता है। विद्युत-धारा प्रवाहित होने से रोशनी की तेज चमक पैदा होती है।
सूर्य की ऊपरी सतह से ज्यादा तापमान : मौसम विज्ञानी के अनुसार बादलों से गिरने वाली बिजली की ऊर्जा एक अरब वोल्ट तक हो सकती है। सामान्य रूप से इसका तापमान सूर्य की ऊपरी सतह से भी अधिक होता है। इसकी क्षमता 300 किलोवाट यानी 12.5 करोड़ वाट से अधिक होती है।
जहां बनती ट्रफ लाइन, वहीं खतरा ज्यादा : जहां भी ट्रफ लाइन (बादलों की शृंखला) होती है, वहीं वज्रपात का खतरा होता है। हालांकि जहां कम बादल होते हैं, वहां भी सतर्क रहने की जरूरत होती है। रविवार तक ट्रफ लाइन उत्तर प्रदेश में थी, जबकि सोमवार को यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और ओडिशा की तरफ खिसकने से वहां खतरा बढ़ा है।
ऐसे करें बचाव
- यदि किसी खुले स्थान में हैं तो तत्काल किसी पक्के मकान की शरण ले लें। खिड़की, दरवाजे, बरामदे और छत से दूर रहें।
- लोहे के पिलर वाले पुल के आसपास तो कतई नहीं जाएं।
- ऊंची इमारतों वाले क्षेत्रों में शरण न लें, क्योंकि वहां वज्रपात का खतरा ज्यादा होता है।
- अपनी कार आदि वाहन में हैं तो उसी में ही रहें, लेकिन बाइक से दूर हो जाएं, क्योंकि उसमें पैर जमीन पर रहते हैं।
- विद्युत सुचालक उपकरणों से दूर रहें और घर में चल रहे टीवी, फ्रिज आदि उपकरणों को बंद कर दें।
- बारिश के दौरान खुले में या बालकनी में मोबाइल पर बात न करें।
- तालाब, जलाशयों और स्वीमिंग पूल से दूरी बनाएं।
- अगर खेत या जंगल में हैं तो घने और बौने पेड़ की शरण में चले जाएं, लेकिन कोशिश करें कि पैरों के नीचे प्लास्टिक बोरी, लकड़ी या सूखे पत्ते रख लें।
- समूह में न खड़े हों, बल्कि दूर-दूर खड़े हों। इसके साथ ही ध्यान दें कि आसपास बिजली या टेलीफोन के तार न हों।
- वज्रपात में मृत्यु का तात्कालिक कारण हृदयाघात होता है। ऐसे में जरूरी हो तो संजीवन क्रिया, प्राथमिक चिकित्सा कार्डियो पल्मोनरी रेस्क्यूएशन (सीपीआर) प्रारंभ कर दें।
मौसम विभाग ने जिलों को जारी किया अलर्ट : मानसून की परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय मौसम विभाग भी सतर्क हो गया है। कानपुर नगर व देहात, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, बांदा, हमीरपुर के अलावा कुशीनगर, महाराजपुर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, ललितपुर, बाराबंकी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, गोंडा, बहराइच, सीतापुर, लखनऊ, हरदोई, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा, एटा, हापुड़, हाथरस, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, कासगंज, बरेली, मीरजापुर, प्रयागराज और आसपास के जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया है कि लोगों को वज्रपात से बचाव के लिए जागरूक करें, ताकि नुकसान से बचा जा सके।