दुनिया से कैसे खत्म होगा कोरोना? ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने दिया ‘बर्डन शेयरिंग फॉर्मूला’
दुनियाभर के विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी से स्थायी रूप से निपटने के लिए सबका टीकाकरण जरूरी है, लेकिन सभी के पास टीके उपलब्ध नहीं हैं। सबको टीके उपलब्ध कराने के लिए ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन ने एक ‘बर्डन शेयरिंग फॉर्मूला’ सुझाया है। वे चाहते हैं कि अगले महीने ब्रिटेन में होने जा रही जी-7 देशों की बैठक से इस पर चर्चा हो।
ब्राउन ने एक वेबिनार में कहा कि 2021 बढ़े हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का वर्ष है। हम गरीबी, अन्याय, खराब स्वास्थ्य, प्रदूषण और पर्यावरण अपघटन जैसी समस्याओं से मिलकर लड़ रहे हैं। कोविड-19 की वजह से हर कोई डरा हुआ है। सवाल यह है कि इस बीमारी को खत्म कैसे किया जाए। इसके लिए वैक्सीन सबसे बड़ा माध्यम है पर बर्डन शेयरिंग फार्मूला ही एकमात्र रास्ता है जो टीकाकरण के लिए सतत निवेश ला सकता है। इस फॉर्मूला से जमा होने वाली रकम को गरीब देशों में स्वास्थ्य प्रणाली पर खर्च किया जाए ताकि इन देशों में भी टीकाकरण हो सके। महामारी की तैयारी के लिए जरूरी ढांचे के निर्माण के वास्ते हर साल 10 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत है।
हर देश की हिस्सेदारी तय होगी
बर्डन शेयरिंग फॉर्मूले में हर देश की आय संपदा और डिफरेंशियल बेनिफिट एवं विश्व अर्थव्यवस्था की रीओपनिंग से मिलने वाले प्रत्येक लाभ को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इस फॉर्मूला के तहत अमेरिका और यूरोप 27% का योगदान करेंगे। ब्रिटेन 5%, जापान 6% और जी-20 के सदस्य अन्य देश बाकी का योगदान करेंगे। यह सिर्फ दान की ही एक प्रक्रिया नहीं होगी बल्कि यह अपने बचाव का भी एक रास्ता होगा, क्योंकि गरीब देश जितने ज्यादा लंबे वक्त तक महामारी से घिरे रहेंगे, यह महामारी अपने पैर पसारना जारी रखेगी। यह सही है कि वैक्सीन बनाने में अरबों डॉलर खर्च होंगे लेकिन उनसे जुड़े फायदे को देखें तो यह कई खरब का होगा।
टीका पेटेंट खत्म करने के पैरोकार
उन्होंने दुनियाभर में वैक्सीन पहुंचाने को टीके से जुड़े पेटेंट को खत्म करने की पैरोकारी की और कहा, मैं उन सभी लोगों का समर्थन करता हूं जो वैक्सीन को उससे जुड़े पेटेंट से अस्थायी तौर पर मुक्त करने का आग्रह कर रहे हैं। इससे अन्य पक्षों को भी वैक्सीन उत्पादन करने के लाइसेंस मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन की 50-50 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन लग चुकी है लेकिन अफ्रीका में यह आंकड़ा सिर्फ 1% है।