02 November, 2024 (Saturday)

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बावजूद वित्त मंत्रालय किसी भी हाल में पूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में नहीं

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट और रिटेल कारोबार में होने वाले नुकसान को देखते हुए वित्त मंत्रालय किसी भी हाल में पूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच अर्थव्यवस्था की रिकवरी को लेकर गंभीर चर्चा की गई है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय का मानना है कि फिलहाल कोरोना की गंभीरता छोटे अंतराल की है और धैर्य के साथ स्थानीय स्तर पर सख्ती करके इस पर काबू पाया जा सकता है और जल्द ही सब ठीक होगा।

मंत्रालय के सूत्र हालांकि कोरोना की तेज लहर को देखते हुए यह भी मान रहे हैं कि इस साल अप्रैल-जून तिमाही का आर्थिक प्रदर्शन जनवरी-मार्च वाली तिमाही की तरह नहीं रहेगा। सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब कोई अन्य राहत पैकेज भी नहीं देने जा रही है। सरकार का पूरा फोकस बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए पूंजीगत खर्च पर होगा ताकि अर्थव्यवस्था में नई मांग और रोजगार का सृजन हो सके।

कोरोना की तेजी से बढ़ती दूसरी लहर को देखते हुए गुजरात और महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों से कामगार धीरे-धीरे अपने राज्यों की ओर लौट रहे हैं। महाराष्ट्र में जनता कर्फ्यू की घोषणा के बाद कमोबेश लॉकडाउन जैसी स्थिति हो गई है और गुजरात में भी पाबंदियां बढ़ती जा रही हैं।

सूत्रों के मुताबिक, औद्योगिक राज्यों में स्थिति गंभीर होने की वजह से अगर अधिक संख्या में कामगार लौटते हैं, तो सरकार मनरेगा के मद में और राशि दे सकती है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मांग बनी रहे और वहां लौटने वाले कामगारों को गांव में गुजर-बसर के लिए काम मिल सके।

चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मनरेगा के मद में 73,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो गत वित्त वर्ष के 1.11 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 34.52 फीसद कम है। पिछले वर्ष राहत पैकेज के तहत मनरेगा के मद में 40,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त देने की घोषणा की गई थी। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में मनरेगा के मद में 61,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।

कई रिसर्च फर्म और रेटिंग एजेंसियां कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए जीडीपी विकास दर में गिरावट की आशंका जाहिर कर रही हैं। वहीं, गूगल मोबिलिटी डाटा के मुताबिक फरवरी के मुकाबले अप्रैल के पहले सप्ताह के आखिर में रिटेल और मनोरंजन कारोबार में 25 फीसद की गिरावट हो चुकी है। रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्फ्यू और बंदिशों की वजह से अप्रैल महीने में सिर्फ ब्रांडेड रिटेल के कारोबार में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान की आशंका है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, फरवरी महीने के औद्योगिक उत्पादन में तीन फीसद से अधिक की गिरावट आ चुकी है। सीएमआइइ के मुताबिक अप्रैल महीने की बेरोजगारी दर बढ़कर सात फीसद के पार चली गई है। ऐसे में सरकार किसी भी हाल में पूर्ण लॉकडाउन का समर्थन नहीं कर सकती।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *