24 November, 2024 (Sunday)

सभी कारोबारी को धोखेबाज मानना ठीक नहीं, जानें- GST से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी से संबद्ध प्राधिकरणों द्वारा इस कानून को लागू करने के तौर-तरीकों पर बुधवार को सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि हर कारोबारी और कारोबार को धोखेबाज मानना कतई ठीक नहीं है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि देश की संसद ने जीएसटी को आम करदाता हितैषी टैक्स व्यवस्था के रूप में पारित किया था। लेकिन टैक्स अधिकारी जिस अंदाज में इसे लागू कर रहे हैं, उससे इस टैक्स का उद्देश्य ही खत्म हो रहा है।

हिमाचल प्रदेश जीएसटी कानून के तहत प्रोविजनल अटैचमेंट यानी जांच से पहले संपत्ति जब्ती के अधिकार पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने जीएसटी प्राधिकारों को खूब खरी-खोटी सुनाई। राधाकृष्ण इंडस्ट्रीज की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि प्रोविजनल अटैचमेंट की व्यवस्था कठोर है। जीएसटी अधिकारी सिर्फ पूर्व-संशय के आधार पर किसी कारोबारी की संपत्ति जब्ती का कदम नहीं उठा सकते हैं।

राधाकृष्ण इंडस्ट्रीज ने याचिका में कहा कि हिमाचल प्रदेश जीएसटी कानून की धारा 83 के तहत संपत्ति जब्ती का अधिकार बेहद क्रूर है। इस धारा के तहत विचाराधीन टैक्स मामलों में जीएसटी अधिकारियों को कंपनी के बैंक खातों या उसमें आने वाली रकम समेत किसी भी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है। जीएसटी अधिकारी इसका उपयोग सिर्फ इसलिए करते हैं कि मामला उनके पक्ष में आने की स्थिति में वसूली सुनिश्चित की जा सके। हिमाचल हाई कोर्ट इस धारा को रद करने की कंपनी की गुहार ठुकरा चुका है, जिसके बाद कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजस्व की चिंता और उचित कारोबार की रक्षा में संतुलन बेहद जरूरी है। देश को इस टैक्स संस्कृति की मानसिकता से निकलना ही होगा कि सभी कारोबारी बेईमान होते हैं। अगर 12 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया जा चुका है और थोड़ा ही बाकी है, तो ऐसी स्थिति में टैक्स अधिकारी किसी कंपनी की संपत्ति जब्ती के पीछे नहीं पड़ सकते। दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *