केंद्र सरकार के मंत्रालयों के पुरस्कारों की अब नहीं बंटेगी रेवड़ी, चयन प्रक्रिया होगी सख्त
पुरस्कारों को लेकर केंद्र सरकार के मंत्रालयों के बीच लगी होड़ अब खत्म होगी। साथ ही इसके चयन की प्रक्रिया भी अब और सख्त होगी। सरकार ने फिलहाल शिक्षा मंत्रालय सहित दूसरे सभी मंत्रालयों की ओर से दिए जाने वाले पुरस्कारों की नए सिरे से समीक्षा का फैसला लिया है। साथ ही इससे जुड़ी प्रक्रिया को और अधिक तर्कसंगत बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। सरकार के इस रुख से साफ है कि आने वाले दिनों में पुरस्कारों की संख्या में भी कुछ कटौती हो सकती है या फिर कुछ पुरस्कार बंद हो सकते हैं।
पुरस्कारों तथा उससे जुड़े मानकों को और तर्कसंगत बनाने की दिशा में उठाया कदम सुधार की राह
सरकार ने वैसे तो यह कदम मंत्रालयों के बीच ज्यादा से ज्यादा पुरस्कार बांटने को लेकर मची प्रतिस्पर्धा को देखते हुए उठाया था। लेकिन इस बीच मंत्रालयों की ओर से कुछ ऐसे पुरस्कार भी देने की जानकारी सामने आई है, जिनका अब कोई औचित्य नहीं है। सरकार ने ऐसे पुरस्कारों को चिह्नित करने का काम भी शुरू कर दिया है।
जानकारों के अनुसार, इसका मकसद ऐसे पुरस्कारों को बंद करना नहीं है, बल्कि उपयोगिता के आधार पर उन्हें नया स्वरूप प्रदान करना है। इस दिशा में सरकार का सबसे ज्यादा फोकस शिक्षा, संस्कृति, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जैसे मंत्रालयों पर है। यहां मौजूदा समय में बड़ी संख्या में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े पुरस्कार दिए जाते हैं। फिलहाल गृह मंत्रालय की अगुआई में सभी मंत्रालयों के साथ पुरस्कारों को तर्कसंगत बनाने को लेकर पहले दौर की बैठक हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान सभी मंत्रालयों से अपने स्तर पर दिए जाने वाले पुरस्कारों को लेकर राय देने को कहा गया है।
शिक्षा मंत्रालय देता है 50 पुरस्कार
अकेले शिक्षा मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 में करीब 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिया गया।
-यह संख्या पहले 300 तक थी, जिसे धीरे-धीरे कम करते हुए मंत्रालय करीब 50 पर लेकर आया है।
-इसी तरह संस्कृति मंत्रालय से जुड़े पुरस्कार भी हैं, जो हर साल सैकड़ों लोगों को दिए जाते हैं।
इन पुरस्कारों का महत्व और बढ़ाना चाहती है सरकार
सरकार की पूरी कोशिश इन पुरस्कारों के महत्व को और बढ़ाना है। साथ ही इसे लेकर एक पुख्ता व्यवस्था भी तैयार करने को लेकर है, जिससे इन पुरस्कारों को लेकर कोई सवाल न खड़ा हो सके। वैसे तो मंत्रालयों के स्तर पर इसकी व्यवस्था है, लेकिन इसके बाद भी इन पुरस्कारों के चयन को लेकर सवाल खड़े होते हैं।