भारत से झड़प कराने वाले कमांडर को चीन ने अहम ओहदे से नवाजा, जानें कौन है यह शख्स और क्या मिला पद
भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के असली विलेन जनरल झाओ जोंगकी को शी चिनफिंग सरकार ने अहम ओहदे से नवाजा है। पीएलए के इस पूर्व शीर्ष कमांडर को चीन की संसद (नेशनल पीपुल्स कांग्रेस) की प्रभावशाली विदेश मामलों की समिति का डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया गया है। झाओ भारत से लगती तिब्बत सीमा पर दो दशकों तक तैनात रहा है। 65 वर्षीय झाओ वर्ष 2017 में दोकलाम और वर्ष 2020 में लद्दाख गतिरोध के दौरान वेस्टर्न कमांड का प्रमुख था।
बता दें कि पीएलए के नियमों के तहत सेना के शीर्ष जनरल की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है। झाओ की यह नियुक्ति पांच मार्च से होने वाली एनपीसी की वार्षिक बैठक से पहले की गई है। वर्ष में एक बार एनपीसी और उसकी सलाहकार निकाय चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसलटेटिव कांफ्रेंस (सीपीपीसीसी) की बैठक होती है। झाओ ने ही चीनी सेना को गलवन घाटी में हमले को अंजाम देने का आदेश दिया था। जनरल झाओ जोंगकी पहले भी भारत के साथ कई पूर्व में हुई तनातनी को अंजाम दे चुका है।
झाओ के अलावा अब तक आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के प्रमुख रहे जनरल वांग निंग संविधान और कानून पर एनपीसी समिति का डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया गया है। बताया जाता है कि जनरल झाओ भारत को अमेरिका के साथ नजदीकी रिश्ते को लेकर सबक सिखाना चाहता था, हालांकि ये चीन पर उल्टा भारी पड़ा क्योंकि भारत के जहां 20 जवान शहीद हुए वहीं चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए।
बीते दिनों चीन ने सैन्य कमांडर स्तर की 10वें दौर की वार्ता से ठीक पहले गलवन घाटी में हुए संघर्ष का एक वीडियो जारी कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी। चीन ने इस प्रोपेगेंडा वीडियो को जारी करते हुए भारतीय सेना पर आक्रामक रुख अपनाने का आरोप लगाया था। सनद रहे कि पिछले साल 15 जून को गलवन घाटी में भारतीय सेना के बिहार रेजिमेंट के बहादुर सैनिकों ने कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में भारतीय इलाके में अवैध रूप से घुस आए चीनी सैनिकों से जमकर लोहा लिया था।