विवादित एक बच्चे की नीति के बाद चीन अब आबादी बढ़ाने की दिशा में अग्रसर, जन्मदर बढ़ाने की कवायद शुरू
विश्व की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन एक बार फिर अपने यहां जन्मदर बढ़ाने की कवायद शुरू करने वाला है। चीन ने चार साल पहले तक विवादित एक बच्चे की नीति का अनुसरण करता था। दशकों तक चीन ने अपने यहां जनसंख्या पर कड़ा नियंत्रण रखने के उपाय किए थे। उस समय उसकी दलील थी कि सीमित संसाधनों को बचाना जरूरी है। चीन घटती जन्मदर को रोकना चाहता है।
अब वह जन्मदर बढ़ने को आर्थिक उन्नति और सामाजिक स्थिरता के लिए जरूरी मान रहा है। चीन ने कहा है कि वह जन्मदर बढ़ाने के लिए पहले अपने यहां उत्तरपूर्वी क्षेत्र पर ध्यान देगा। यह क्षेत्र पुराने समय का औद्योगिक उदय माना जाता है। यहां जनसंख्या में भारी गिरावट आ गई है। नौजवान और उनके परिवार बेहतर अवसरों के लिए यहां से पलायन कर गए हैं। अधिकारियों के अनुसार पिछले साल जन्म दर में 15.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। चीन में 2010 की जनगणना के अनुसार एक अरब 34 करोड़ जनसंख्या थी। वार्षिक जन्मदर 0.57 फीसद रही। जबकि एक दशक पहले जन्मदर 1.07 फीसद थी। जन्मदर को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2027 तक भारत आबादी के लिहाज से चीन को पछाड़ देगा।
गौरतलब है कि चीन की आबादी तकरीबन एक अरब 40 करोड़ से ज्यादा है। यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। कुछ दशक पहले तक चीन की लगातार बढ़ रही आबादी उसके लिए चिंता का सबब बनी हुई थी। अपनी बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए चीन ने वर्ष 1979 में एक बच्चे की नीति बना दी। इसके तहत केवल एक ही बच्चा पैदा करने की अनुमति थी। हालांकि कुछ साल पहले चीन को एहसास हुआ कि देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके अनुपात में युवाओं की जनसंख्या काफी कम हो रही है। लिहाजा वर्ष 2016 में चीन ने एक बच्चे की नीति को निरस्त कर दो बच्चों की नीति बना दी। मतलब चीन में अब एक कपल दो बच्चे पैदा कर सकता है।