बजट में निजी खर्च बढ़ाने के कई उपायों की घोषणा संभव; मांग, रोजगार और जीएसटी कलेक्शन पर हो सकता है फैसला
मांग, रोजगार और जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोतरी के लिए सरकार आगामी बजट में लोगों के हाथ में अधिक नकदी देने की व्यवस्था ला सकती है। इस दिशा में वित्त मंत्रालय कई ऐसे वित्तीय उपायों को बजट में समाहित करने पर विचार कर रहा है जिससे आम लोग अधिक खर्च कर सकें। खर्च में बढ़ोतरी से ही वस्तुओं की मांग में बढ़ोतरी होगी। इससे मैन्यूफैक्चरिंग व सेवा क्षेत्र के कारोबार में इजाफा होगा और जिससे रोजगार का सृजन होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कई बार कह चुकी है कि सही वक्त आने पर ऐसे प्रोत्साहन पैकेज दिए जाएंगे ताकि लोग अधिक खर्च कर सकें।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक 80-सी की सीमा में बढ़ोतरी और भविष्य निधि (पीएफ) की 12 फीसद की सीमा घटाने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन पीएफ की सीमा में कटौती स्वैच्छिक रूप से लागू हो सकती हैं। लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स पर भी सरकार कुछ राहत दे सकती है।
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक कोरोना वैक्सीन लगने की शुरुआत के बाद यह साफ है कि कुछ महीनों में कारोबार की गति और तेज होगी। सूत्रों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आगामी पहली फरवरी को पेश होने वाले बजट में पीएफ कटौती की 12 फीसद की सीमा को 10 फीसद तक लाने से वेतनभोगियों के हाथ में अधिक नकदी आएगी। सूत्रों के मुताबिक यह व्यवस्था अनिवार्य नहीं, बल्कि विकल्प के तौर पर लागू हो सकती है। इससे नौकरीपेशा लोगों के हाथ में अधिक सैलरी भी आएगी और सरकार को भी पीएफ पर कम ब्याज देना होगा।
वहीं, आयकर में 80-सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा में बढ़ोतरी से भी लोग अधिक बचत दिखा सकेंगे जिससे उनके आयकर में कमी आएगी।टैक्स विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) मनीष गुप्ता का मानना है कि पिछले अक्टूबर-नवंबर से मांग या खपत ने जो रफ्तार पकड़ी है, सरकार उसे हर हाल में जारी रखते हुए उसमें और बढ़ोतरी चाहेगी। यह तभी संभव है जब खर्च के लिए सरकार की तरफ से प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं, राजस्व में हुई कमी की भरपाई के लिए सरकार हर हाल में जीएसटी कलेक्शन को हर महीने एक लाख करोड़ से अधिक रखना चाहती है। हालांकि यह तभी संभव है जब आम ग्राहकों की तरफ से खरीदारी बढ़ेगी।