Virtual convocation ceremony at MNNIT : खुद को अपडेट, अपग्रेट और एजुकेट करें टेक्नोक्रेट : डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक
शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहाकि भारतीय जीवनमूल्य आम जनमानस को ताकत देते हैं। ऐसे में टेक्नोक्रेट खुद को लगातार अपडेट, अपग्रेड और एजुकेट करते रहें। यदि वह इससे चूक गए तो आउटडेट हो जाएंगे। विश्वशांति के लिए मजबूत भारत जरूरी है। भारत हमेशा से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अध्यात्म और गणित के क्षेत्र में विश्वगुरु रहा है। लेकिन इसके साथ वसुधैव कुटंबकम के सिद्धांत पर भी हमेशा खरा रहा है। ऐसे में मजबूत भारत विश्वशांति के लिए अहम है।
वह गुरुवार को मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के 17वां दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि नई दिल्ली स्थित मंत्रालय से ऑनलाइन मोड में बोल रहे थे। सबसे पहले उन्होंने संस्थान परिसर में बने भूमिगत रेलवे पुल का लोकार्पण किया। इसके बाद कहाकि दीक्षा का कभी अंत नहीं होता है। यह ऐसा क्षण है, जो अविस्मिरणीय है। इसे हमेशा संजोने की जरूरत है। संस्थान से डिग्री लेकर निकलने वाले छात्रों को अब मैदान में जाना है। डिग्री लेकर साबित करना है कि वह योद्धा है। पूरा मैदान खाली है। वर्षों की साधना के बाद शक्तिपुंज लेकर अब निकल पड़े हैं। आज के बाद जिंदगी में तमाम सवाल खड़े होंग और जवाब खुद ही देना होगा। एमएनएनआइटी से जो ज्ञान अर्जन किया है वह शक्ति के रूप में प्रवेश कर चुकी है, जो चट्टान की तरह काम करेगी। उन्होंने छात्रों से कहाकि कि नौकरी के पीछे न भागें। नौकरी लेने वाला नहीं देने वाला बनें। जो समस्याएं हैं उस पर शोध करें। शिखर पर पहुंचने के लिए प्रयास करें। प्रतिभा और समय का दुरुपयोग न करें। अमेरिका की इतनी आबादी ही नहीं है, जितने यहां छात्र-छात्राएं हैं। आगामी वक्त में भारत यंग इंडिया भी बनेगा। छोटी-छोटी बातों से बड़े परिवर्तन किए जा सकते हैं। छोटे काम से बड़ी इमारतें खड़ी की जा सकती हैं। सकारात्मक सोच वाला आगे बढ़ता है और नकारात्मक वाला हमेशा नीचे जाता है।
टेक्नोक्रेट के बूते भारत फिर बनेगा विश्वगुरु
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. निशंक ने कहा तक्षशिला, नालंदा जैसे विवि केवल भारत में ही थे। ऐसे में हम विश्वगुरु थे। वसुधैव कुटुंबकम ही हमारा विजन होना चाहिए। इसे मिशन में सर्वे भवन्तु सुखिन: को शामिल करना होगा। दुनिया को बाजार बताने वाले लोग खुद को विकसित बता रहे हैं। उन्हें शायद यह जानकारी नहीं है कि बाजार में व्यापार होता है परिवार नहीं। ऐसे में इसे दिमाग में हमेशा रखना होगा तभी फिर से देश को विश्वगुरु बनाने में कामयाब हो सकेंगे। उन्होंने कहा मेरा प्रयागराज से भी गहरा नाता है। प्रयागराज को ही भगवान ने भी तपस्या के लिए चुना था। यह दुनिया का सबसे पवित्र स्थान है। तीन नदियों का संगम है। देश की आजादी में भी प्रयागराज की भूमिका अहम है। जब तक हिंदुस्तान ताकतवर नहीं होगा देश में शांति नहीं हो सकती है। गंगा, यमुनी सरस्वती के संगम से निकलकर शक्ति का प्रतीक बन जाते हैं तो आप प्रौद्योगिकी, नवाचार और विज्ञान की त्रिवेणी बनकर एक दिन दुनिया में छाएंगे।
कोरोनाकाल में भी एमएनएनआइटी ने रचा इतिहास
दीक्षा समारोह का शुरुआत बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह ने किया। इसके बाद सीनेट के चेयरमैन और संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने संस्थान की सालभर की उपलब्ध्यिों को गिनाया। कहाकि नई शिक्षा नीति से देश को फिर से विश्व गुरु का दर्जा मिलेगा। विगत दिनों में संस्थान ने नई शिक्षा नीति के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की। संस्थान अपने स्तर से हिंदी में आगे बढऩे का काम कर रहा है। अगले सत्र में इसको मूर्त रूप देने में कामयाब हो पाएंगे। कोरोनाकाल में संस्थान ने ऑनालाइन मोड में परीक्षाएं और अध्यापन कार्य जारी रखा। संस्थान ने पहली बार आठ माह में तीन टेक्नोलॉजी दिए। सत्र 2020 में प्रवेश की प्रक्रिया का दायित्व भी शिक्षकों के दम पर चुनौतियों के बीच पूरी की। कोरोनाकाल में भी लगभग 88 फीसद प्लेसमेंट हुआ है। दो नए छात्रावासों का निर्माण हो रहा है। साथ ही शिक्षकों के लिए भी आवास निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। 222 एकड़ में स्थापित संस्थान की अन्य उपलब्ध्यिों को भी बताया। इस दौरान रजिस्ट्रार डॉ. सर्वेश कुमार तिवारी, डीन एकेडमिक प्रो. आरके सिंह, डॉ. शिवेश शर्मा के अलावा सीनेट के सदस्य और सभी संकाय और विभाग के अध्यक्ष उपस्थित रहे।